भारतीय रुपया यानी इंडियन रुपीस और अमेरिकी डॉलर का याराना पुराना है. लेकिन इसके वाबजूद इंडियन रुपीस की वैल्यू दिन पर दिन गिरती जा रही है. आज वर्तमान में 1 डॉलर की कीमत 83.73 रुपया है. जबकि 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब 1 डॉलर की कीमत 3.33 इंडियन रुपीस थी. ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत और US की मुद्रा (CURRENCY) में इतना अंतर (DIFFERENCE) कैसे आया. साथ ही यह भी जानना चाहिए कि किसी देश की करेंसी की VALUE कितनी होगी यह कौन निर्धारित (DECIDE) करता है.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स खगालने पर पता चला कि 1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब 1 डॉलर की कीमत 3.33 रुपया थी. साल 1985 में 1 डॉलर की कीमत बढ़कर 12.38 रुपया हो गई. यही 1 डॉलर साल 1995 में 32.42 भारतीय रुपया के बराबर हो गया. साल 2011 आते – आते रुपया की कीमत में और गिरावट आयी और 1 डॉलर 55.39 रुपया के बराबर हो गया. गिरावट का यह दौर यहां भी नहीं रुका, 2022 में 1 डॉलर 79 रुपया और फिर 2024 आते आते 1 डॉलर 83.73 रुपया के बराबर हो गया.
डॉलर के मुकाबले रुपया की कीमत कैसे तय होती है
डॉलर के मुकाबले रुपया की कीमत कोई एक व्यक्ति तय नहीं करता है. बल्कि मार्केट फोर्सेज डिमांड के तौर पर 1 डॉलर के मुताबिक रुपया की कीमत तय की जाती है. यानी फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं. यानी जहां विभिन्न देशों की मुद्राओं का विनिमय, व्यापार या किसी अन्य देश की मुद्रा में रूपांतरण किया जाता है, उसे ही FOREIGN EXCHANGE MARKET यानी की विदेशी मुद्रा बाजार कहते हैं. और यही अलग अलग देशों की करेंसी निर्धारित करती है.
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी
दुनिया की सबसे महंगी करेंसी की बात करें तो कुवैती दिनार (kuwaiti dinar) पहले स्थान पर है. साल 2014 में 1 कुवैती दिनार 214 भारतीय रुपया के बराबर था जो की अब बढ़ कर 273.82 हो गया है. ऐसे ही चाइना के युवान की साल 2014 में वैल्यू 1 युआन की 9.9 भारतीय रुपया थी जो की 2024 आते आते 11.54 भारतीय रुपया हो गयी है.
इन देशों की करेंसी में भी हुआ बदलाव
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की 2014 में करेंसी की वैल्यू 1 इंडियन रुपीस 1.7 पाकिस्तानी रुपया थी जो 2024 आते आते 3.32 पाकिस्तानी रुपया हो गया है. रूस की बात करें तो 2014 में 1 इंडियन रुपया 1.6 रूबल थी जो की 2024 में 1 इंडियन रुपया 1.03 रूबल के बराबर हो गयी. वहीं UK की करेंसी 2014 में 1 POUND भारतीय रुपया में 100.4 थी जो की 2024 में 1 POUND 107.48 रुपया हो गयी.
विनिमय दर किसे कहते हैं
विनिमय दर (exchange rate) दो अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत होती है, इसे आप इस तरह समझ सकते हैं की एक करेंसी का रेट दूसरे देश के करेंसी के रेट के कितने बराबर है. यानी किसी भी करेंसी का रेट उनके DEMAND AND SUPPLY पर निर्भर करता है. जानकारी के लिए बता दे की अभी हर देश अपनी विनिमय दर को अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में दिखाता है.
अवमूल्यन किसे कहते हैं
मुद्रा का अवमूल्यन करने का मतलब है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है. आसान शब्दों में, विदेशी मुद्रा बाजार में राष्ट्र अपनी मुद्रा को कमजोर कर देता है. खास बात यह है कि मुद्रा के अवमूल्यन से घरेलू मूल्य यानी की DOMESTIC VALUE पर कोई असर नहीं पड़ता है.
मुद्रा अवमूल्यन क्यों करने हैं कोई मुल्क
भारत या कोई भी अन्य देश अपने भुगतान संतुलन balance of payments को बनाए रखने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है. इसके अलावा, आयात को महंगा और निर्यात को सस्ता बनाने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन भी कई बार करते हैं. यह निर्यातकों को विदेशी बाजारों में अधिक माल निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो आयात के मुकाबले निर्यात के अनुपात को ठीक करता है.
डॉलर और रुपया की कीमत एक बराबर होने से नुकसान
डॉलर और रुपया की कीमत एक बराबर होने से कई नुकसान हैं. जैसे 1 डॉलर अगर 1 इंडियन रुपया के बराबर हो जाएगा तो कोई भी इंडिया में अपनी कंपनी क्यों खोलेगा. जाहिर है सेम रेट होने की वजह से लोग विदेशों में ही अपने बच्चों को पढ़ाएंगे और अधिकांश लोग भारत छोड़ के बेहतर सुविधा और रोजगार वाले देश में पलायन कर सकते हैं.
रुपया की वैल्यू बढ़ाने के लिए क्या करना होगा
रुपया की वैल्यू बढ़ाने के लिए सरकार को कई कदम उठाने होंगे. इसमें सबसे पहले IMPORT DEPENDENCY को कम करना होगा. इसके अलावा अपनी इंडस्ट्री (INDUSTRIES) को प्रमोट करना चाहिए जिससे EXPORT को बढ़ाया जा सके. तीसरे विकल्प के तौर पर टूरिज्म सेक्टर को भी बढ़ावा देना होगा. जब देश में डॉलर्स आयेंगे तभी रुपया की कीमत में सुधार होगा. मोटे तौर पर कोई भी देश आत्मनिर्भर बनकर खुद की करेंसी को मजबूत कर सकता है. खास बात यह है कि सिर्फ पैसे की वैल्यू बढ़ जाने से या गिर जाने से देश का डेवलपमेंट प्रभावित नहीं होता.
डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर क्यों हो रहा समझने के लिए देखिए ये वीडियो।।