बनारस का मलइयो, दिल्ली की दौलत की चाट, आगरे का पेठा और मथुरा के पेड़े तो आपने जरूर खाए होंगे लेकिन विंध्य का मशहूर खुरचन का स्वाद आपने शायद ही चखा होगा. जैसा इसका नाम है इसे खुरच-खुरच कर ही बनाया जाता है, लेकिन दूध की मलाई को. ये ऐसी मिठाई है जो मलाई से बनती है और एकदम मखमली होती है. खुरचन बनाने के लिए दूध को अच्छे से पकाकर उसकी मलाई का इस्तेमाल किया जाता है.
इस मिठाई का इतिहास कई सालों पुराना है, इसे बनाने बहुत ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं होती, केवल दूध, शक्कर का बुरादा और इलायची पाउडर का इस्तेमाल होता है. मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध मिठाइयों में से एक है खुरचन. आधा किलो खुरचन बनाने के लिए करीब दो लीटर दूध का इस्तेमाल किया जाता है. दूध को आधा-आधा लीटर करके अलग-अलग कढ़ाही में इलायची पाउडर के साथ पकाया जाता है. हर 10 मिनट में दूध को केवल एक बार चलाते हैं ताकि चिपके नहीं. फिर इस दूध को ठंडा होने के लिए रख देते हैं. इसे बनाते वक़्त इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी होता है कि दूध कढ़ाही में चिपके नहीं. साथ दूध फ़ुल क्रीम इस्तेमाल करने से इसका स्वाद और ज़्यादा बढ़ा जाता है.
जब दूध ठंडा हो जाता है तो मलाई की परत निकालकर एक ट्रे में जमाते हैं, फिर इसमें शक्कर का बुरादा डालते हैं. फिर मलाई की एक परत जमाकर शक्कर का बुरादा डालते हैं. इसी तरह कई परत जमाकर तैयार हो जाती है विंध्य की मशहूर खुरचन. ये ऐसी मिठाई है जिसे फ़्रेश खाने में ही स्वाद आता है, इसलिए जब भी ख़रीदे तो ये पूछना ना भूलें कि कितने घंटे पहले बनी है. गर्मियों के मौसम में केवल 24 से 26 घंटे तक ही चल पाती है खुरचन. वहीं सर्दियों के मौसम में 2 से 3 दिन.
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