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महाकुंभ में मुसलमानों की इंसानियत, भगदड़ के बाद फंसे 25,000 श्रद्धालुओं के लिए खोले घर के दरवाजे

प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh) में मुसलमानों ने इंसानियत की मिसाल पेश की है. दरअसल, कुंभ में भगदड़ के बाद फंसे हजारों श्रद्धालुओं की मदद के लिए मुसलमानों (Muslims) ने अपने घर के दरवाजे खोल दिए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 25,000 से अधिक श्रद्धालु मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के दिन भगदड़ और भीड़ में फंस गये थे. प्रशासन ने भी इन लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया था. ऐसे में प्रयागराज के मुसलमानों ने शहर की मस्जिदों, दरगाहों, इमामबाड़ों और अपने घरों को मुश्किल में पड़े श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया और उनका खयाल रखा. इस पर द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के लिए नमिता वाजपेयी और दैनिक भास्कर के लिए फरहत खान ने मार्मिक रिपोर्ट की है. खुल्लाबाद के महमूद बताते हैं कि, “कुंभ से पहले साधु-संतों ने घोषणा की थी कि मेले में मुसलमानों को आने की अनुमति नहीं होगी. ईश्वर का करिश्मा देखिए. मेला खुद श्रद्धालुओं के रूप में मुस्लिम इलाकों में पहुंच गया.”

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बता दें कि कश्मीर में फंसे सैलानियों के साथ भी ऐसा ही हुआ था. ‘दैनिक भास्कर’ के अनुसार, मुसलमानों ने 25-26 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं के लिए न सिर्फ नाश्ता, भोजन-पानी आदि की व्यवस्था की, बल्कि देर रात तक भंडारे का भी आयोजन किया. आराम के लिए रजाई, कंबल, तोसक-तकिया आदि के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाएं भी मुहैया करवाईं. दरअसल, व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई थीं और क्षेत्र में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी. इस कारण जो श्रद्धालु जहां थे, वहीं फंस गए. नखास कोहना इलाके के इरशाद कहते हैं, ‘‘हमने उनके लिए इतना कुछ इसलिए किया, क्योंकि वे सभी प्रयागराज में मेहमान हैं.”

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चौक इलाके में पेशे से शिक्षक मसूद अहमद कहते हैं, “कुंभ में प्रयागराज में बहुत बड़ी भीड़ होती है. उस रात जब ज़रूरतमंदों की मदद की बात आई तो हम सबने मिलकर काम किया. हिंदू भाई अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और हम मानवता के नाते उनके साथ थे. हमारा एक ही उद्देश्य था, दूर-दूर से आए लोगों की परेशानी कम करना. हमने स्टेशन पर पहुंचने वाले बुजुर्गों की मदद करने की कोशिश की. हम बस यही चाहते हैं कि जो लोग यहां आए हैं, वे मानवता की भावना से ओत-प्रोत होकर वापस जाएं.”

हरकार का आभार, विशेष अनुबंध के तहत स्पेशल आर्टिकल.

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