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युवा कवि श्रीराम पांडे कि कविता “हम गीतों में विद्रोही बन जायेंगे” के पीछे क्या है कहानी

श्रीराम मध्यप्रदेश के सीधी जिले के मुड़हेरिया गांव से आते हैं. बघेलखंड की संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बसे इस छोटे से गांव में उनका बचपन जंगलों के आसपास बीता जिसका प्रभाव उनकी कविताओं से लेकर उनके जीवन में भी दिखाई देता है. बहरहाल बचपन में उन्होंने अपने पिताजी अखिलेश पाण्डेय से कविताएं और उनके गीत सुना करते थे. तभी से उनके अंदर कविताओं के बीज पनपने लगे था. इस प्रकार श्रीराम ने किताबों का रुख किया और एक देशभक्ति गीत से प्रेरित होकर उन्होंने भी एक गीत लिखा जिसको वो स्वरचित नहीं अपितु गीत के शब्दों को इधर-उधर करके लिखा गीत कहते हैं.

इसके बाद उन्होंने विद्यालय में हुई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हुए स्वरचित काव्य पाठ में लगातार 2 वर्षो तक राज्य स्तर में प्रथम स्थान प्राप्त किया. उसके कुछ वर्षो बाद श्रीराम ने स्वतंत्र गीत लिखने शुरू कर दिए, और देखते हुए देखते ही लोगों को उनके गीत खूब पसंद भी आने लगे.

2019 में इंडियन आइकॉनिक पोएट के फाइनल तक पहुंचे और देशभर से आए कवियों के साथ प्रतियोगिता की. इसी प्रकार अनेक काव्य मंचो और कवि सम्मेलनों में उन्होंने प्रतिभाग किया. जिसमें विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय कला एवं साहित्याहोत्सव द्वारा आयोजित रंगोत्सव (2023) में भी शामिल हुए. श्रीराम मुख्य रूप से श्रृंगार और विद्रोह के गीत लिखते हैं.

विद्रोही बनने के पीछे और राजनीति से विरोधाभास होने की उनकी एक अपनी कहानी है. गांव से निकलकर 2018 में जब वह पहली बार बड़े शहर में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए पहुंचे.

श्रीराम का साइंटिस्ट बनने के सपने थे. लेकिन वो एक ऐसी राजनीति का शिकार हुए जिससे उसका कोई वासता ही नहीं था. श्रीराम का सिर्फ पढ़ने में रुझान था.  जिसके लिए उन्होंने एक अच्छा कैंपस चुना. लेकिन राजनीति से ग्रसित लोगों ने उन्हें कैंपस शिफ्ट करने में रोक लगा दी जिसमें कॉलेज में स्टाफ से लेकर गुंडागर्दी करने वाले सीनियर और पासआउट भी शामिल थे.

जब नए छात्रों के साथ श्रीराम ने विद्रोह करना शुरू किया तो लोग उनका विद्रोह स्वर दबाने के लिए मारपीट और अनेक प्रताड़ित करने वाली घटनाएं करने लगे. लड़कियों के द्वारा लगाए गए झूठे और संगीन आरोप जो कभी सही साबित ना हो सके.

इन्ही तमाम घटनाओं के बीच श्रीराम ने एक गीत लिखा “हम गीतों में विद्रोही बन जायेंगे”. श्रीराम ने हार नहीं मानी और अपने सपने को पीछे छूटने नहीं दिया और फिर एक गीत लिखा ” फ़कीर मिजाज़ हूं मुस्कुराता रहूंगा” इस प्रकार श्रीराम आज अपनी कविताओं से सभी को अपने ओर खींचने लगे. देखिए इस वीडियो में युवा कवि श्रीराम की जर्नी ||