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Ken Betwa River Link Project से अटल जी का सपना पूरा, फिर मोदी से नाराज क्यों हैं बुंदेलखंड के आदिवासी?

देश की पहली, नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken Betwa River Link Project) का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने किया है. पीएम मोदी ने इसके शिलान्यास के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की 100वीं जयंती का दिन 25 दिसंबर को चुना था. केन-बेतवा लिंक परियोजना अटलजी का ड्रीम प्रोजेक्ट था. इस परियोजना की लागत, 44 हजार 605 करोड़ है. इस परियोजना के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व और उसके आस-पास के 22 गांव के, हज़ारों निवासियों को विस्थापित किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लाखों फायदे बता रही है. सरकार का कहना कहती है, कि बुंदेलखंड के लोगों के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना सौभाग्यशाली है. हालांकि बुंदेलखंड के आदिवासी परिवार जो इस योजना से प्रभावित हो रहे हैं वो इसे अभिशाप बता रहे हैं. आदिवासी परिवारों का कहना है कि उन्हें कब और कहां विस्थापित किया जा रहा है. इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है. इन आदिवासी परिवारों ने ताउम्र अपनी जिंदगी, इन्ही खेतों और जंगलों में बिताई, लेकिन आज इस परियोजना के चलते, उन्हें अपना घर और जमीन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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60 वर्ग किलोमीटर के जंगलों का होगा सफाया
केन-बेतवा लिंक परियोजना के चलते बुंदेलखंड के जंगलों में करीब 46 लाख पेड़ काटे जा रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस परियोजना से 60 वर्ग किलोमीटर के घने और जैव विविधता वाले जंगल खत्म हो जाएंगे. ऐसे में इन जैव विविधता वाले जंगलों की भरपाई के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कराना होगा.

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77 मीटर ऊंचा ढ़ोढन बांध
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत ढ़ोढन बांध का निर्माण किया जाएगा. इसकी ऊंचाई 77 मीटर होगी. यह बांध 2,031 मीटर लंबा होगा. इस बांध की 1,233 मीटर लंबाई मिट्टी की होगी और शेष 798 मीटर लंबाई कंक्रीट की बनेगी. इससे जंगल के एक बड़े हिस्से के साथ बुंदेलखंड के छतरपुर के 14 गांव पूरी तरह से पानी में डूब जाएंगे.

सोशल वर्कर ने उठाए सवाल
सोशल वर्कर अमित भटनागर के मुताबिक, सरकार इस परियोजना से पैसे का दुरुपयोग कर रही है. साथ ही सरकार, आदिवासियों के साथ भी अन्याय कर रही है. उनका कहना है कि सरकार अगर इनका विस्थापन कर रही है, और ये लोग यहां से जाने को तैयार भी हैं, तो सरकार ये क्यों नहीं बताती, कि इन्हें कहां भेज रही है. इन परिवारों को न तो कोई नोटिस दिया गया है और न ही कोई सूचना दी गई है. सीधे शब्दों में कहें, तो सरकार धारा 13 के सभी नियमों का उल्लंघन कर रही है.

आदिवासियों पर झूठ बोलने का आरोप
बिजावर विधायक बब्लू शुक्ला ने ग्रामीणों पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सरकार सभी को मुआवजे की उचित राशि दे रही है. वहीं मुआवजे के सवाल पर सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि सभी को पैकेज पर आधारित साढ़े 12 लाख रुपए के साथ ही उनके घर और मालमवेशी सबके पैसे दिए जा रहे हैं. मुआवजा पाने वाले कई परिवार इसके बाद इस जगह को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.

बुंदेलखंड के आदिवासी परिवारों की समस्या जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।

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