केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचाना है. इस परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा ढोढन बांध बनाया जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट को देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पूरी कर रही है. हालांकि इस योजना से स्थानीय लोग संतुष्ट नहीं हैं. केन-बेतवा लिंक परियोजना से कई गांव, बांध और जंगल के बीच फंस गए हैं. इन लोगों के पास विस्थापित होने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है. ऐसा ही एक गांव बुंदेलखंड में शाहपुर है.
शाहपुर के रहने वाले आदिवासी परिवारों के बीच विकास और विस्थापन को लेकर दुविधा खड़ी हो गई है. इस परियोजना का सबसे बड़ा असर पन्ना टाइगर रिजर्व और उसके आस-पास के 22 गांवों पर पड़ा है. यहां हजारों निवासियों को उनके घरों से विस्थापित किया जा रहा है. ऐसे में शाहपुर गांव के निवासियों का कहना है कि उनका घर बांध और जंगल के बीच आ चुका है. सरकार की तरफ से उन्हें ना तो कोई मुआवजा मिला है और न ही सरकार की तरफ से पुनर्वास की योजना स्पष्ट है. गौर करने वाली बात यह है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से छतरपुर जिले के 14 गांव पूरी तरह से डूब जाएंगे. वहीं पन्ना जिले के 8 गांवों की जमीन वन विभाग को सौंप दी गई है.
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पूरी तरह से डूब जाएंगे 14 गांव
बुंदेलखंड में शाहपुर के रहने वाले आदिवासी परिवारों के बीच विकास और विस्थापन को लेकर दुविधा खड़ी हो गई है. इस परियोजना का सबसे बड़ा असर पन्ना टाइगर रिजर्व और उसके आस-पास के 22 गांवों पर पड़ा है. यहां हजारों निवासियों को उनके घरों से विस्थापित किया जा रहा है. ऐसे में शाहपुर गांव के निवासियों का कहना है कि उनका घर बांध और जंगल के बीच आ चुका है. सरकार की तरफ से उन्हें ना तो कोई मुआवजा मिला है और न ही सरकार की तरफ से पुनर्वास की योजना स्पष्ट है. गौर करने वाली बात यह है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से छतरपुर जिले के 14 गांव पूरी तरह से डूब जाएंगे. वहीं पन्ना जिले के 8 गांवों की जमीन वन विभाग को सौंप दी गई है.
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रोजगार का संकट
शाहपुर गांव से विस्थापित होने वाले परिवारों के पास रोजगार का संकट उत्पन्न होने वाला है. यहां की आबादी अभी तक वन उपज और खेती पर निर्भर थी, लेकिन विस्थापित होने के बाद यहां के परिवारों को कहां भेजा जाएगा, कोई नहीं जानता है. ऐसे में अभी से यहां की जनता अपनी आजिविका के लिए परेशान है.
उचित मुआवजा की मांग
विस्थापित होने वाले परिवारों की मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए. इसके लिए लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली और फिर जल सत्याग्रह भी किया. जब बात नहीं बनी तो लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया. इसके बाद कई परिवारों को सरकार की ओर से तय मुआवजा पैकेज दिया गया लेकिन कई परिवारों को छोड़ दिया गया. इन परिवारों को अभी भी मुआवजा मिलने की उम्मीद है. वहीं कई परिवारों को जमीन का पैकेज तो मिल गया लेकिन मकान का मुआवजा सरकार ने नहीं दिया.
नदी जोड़ो परियोजना से पर्यावरण को खतरा
केन-बेतवा लिंक परियोजना के शुरू होने से पर्यावरणीय चुनौतियों की चिंताएं भी गहराती जा रही हैं. परियोजना का सबसे बड़ा नुकसान पन्ना टाइगर रिजर्व को होगा. यहां बाघों और अन्य वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास प्रभावित होगा. हालांकि इस योजना को लेकर सरकार का पक्ष अलग है. सरकार का कहना है कि यह परियोजना बुंदेलखंड की जल समस्या को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण है. केन-बेतवा लिंक परियोजना से लाखों लोगों को सिंचाई और पेय जल की सुविधा मिलेगी.
केन-बेतवा लिंक परियोजना
केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचाना है. इससे पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, विदिशा, और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिलों में पानी पहुंचाने की योजना है. केन-बेतवा लिंक परियोजना की लागत, 44 हजार 605 करोड़ है.
देश की पहली नदी जोड़ो केन-बेतवा लिंक परियोजना से लोगों को हो रही समस्या के बारे में जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।
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