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चेहरे की झुर्रियों में सूख रहे आंसू, पुनर्वास के इंतजार में बार-बार विस्थापित हो रहा मोरवा!

मोरवा में चारों तरफ़ की ज़मीन काट कर कोयला निकाला जा रहा है. कई घर ऐसे हैं जो एक टीले की तरह नज़र आते हैं.

मोरवा (Morwa) की कोल माइंस (Coal Mines) से क़रीब 100 मीटर से भी कम दूरी पर देवसिया और उनका परिवार रहता है. मोरवा का यह वह इलाका है जिसका लगातार कोयला के लिए उत्खनन किया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि कोल माइंस के बीच देवसिया कबसे और क्यों रह रही हैं? क्या उन्हें अपनी जान की परवाह नहीं है या फिर कोई ऐसी मजबूरी है जिसके चलते वह अपना घर नहीं छोड़ पा रही हैं.

यह जानने के लिए विंध्य फर्स्ट की टीम सिंगरौली जिले के मोरवा पहुंची. यहां आने पर पता चला कि 12 साल पहले मोरवा के वार्ड 10 में घर बनाकर रह रही देवसिया को NCL ने विस्थापित (Displacement) कर दिया. लेकिन रहने का कोई और ठिकाना उपलब्ध नहीं करवाया गया. NCL ने यहां से कुछ लोगों का घर गिराकर उन्हें हटा दिया है लेकिन देवसिया जैसे परिवार जान जोखिम में डालकर मुआवजा (Compensation) लेने के लिए आज भी मोरवा के वार्ड 10 में रह रहे हैं. देवसिया कहती हैं कि हम तो पहले से रह रहे थे, ऐसे में अब कहां जाएं. देवसिया के 8 बच्चे हैं और सभी बेरोज़गार हैं.

बेघर होने पर मिलेगा 4 लाख
देवसिया का घर कुल 5 डिसमिल जमीन पर बना है. इस घर का दाम सिर्फ 4 लाख बनाया गया है. यानी बने बनाए घर से बेघर होने पर देवसिया को सिर्फ 4 लाख रुपये ही मिल पाएगा. देवसिया के साथ यह तब हो रहा है जब पहले भी उन्हें एक बार उनके घर से हटाया जा चुका है. काफी परेशानियों के बाद देवसिया ने घर बनाया था जिसे अब 4 लाख की कीमत निर्धारित करके तोड़ा जाना है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह कैसा विस्थापन है. देवसिया जैसे लोगों के घर बार – बार क्यों तोड़े जा रहे हैं. आख़िर कितनी बार ये विस्थापन होगा और विस्थापितों को स्थाई पुनर्वास कब नसीब होगा. क्या अब देवसिया जहां घर बनाएंगी वो स्थायी होगा.

बारूद के ढेर पर रह रहे लोग
मोरवा शहर इन दिनों बारूद के ढेर पर बसा हुआ शहर बनता जा रहा है. आए दिन होने वाली ब्लास्टिंग से स्थानीय लोग परेशान हैं. बारूद के ढेर पर बसे इस शहर में होने वाले धमाके किसी भी दिन कहर बरपा सकते हैं. देवसिया जैसे लोगों के घर इन बड़े झटकों ने ही तोड़ दिया है. अब उन्हें इंतज़ार है अपने हक़ के मुआवज़े का जिससे वो फिर से अपने सपने का घर बना सकें. आख़िर कब इन्हें स्थाई पुनर्वास के लिए जगह और मुआवज़ा दिया जाएगा. कब ये बिना किसी डर के घर बनाएंगे जिसे तोड़ा नहीं जाएगा.

कई परिवारों ने छोड़ दिया घर
मोरवा के वार्ड 10 में 50 से अधिक परिवार ऐसे हैं जो दूसरी जगहों पर चले गए. यह अलग बात है कि वो जगह भी स्थाई नहीं है. कोई वार्ड 9 में चला गया तो कोई वार्ड 3 में लेकिन विस्थापन तो पूरे मोरवा का होना है. यहां चारों तरफ़ की ज़मीन काट कर कोयला निकाला जा रहा है. कई घर ऐसे हैं जो एक टीले की तरह नज़र आते हैं. इसके बावजूद भी कई लोगों का सपना मुआवजे की आस लगाए हुआ है.

मुआवजा देने को तैयार नहीं है NCL
देवसिया जैसे स्थानीय परिवारों का कहना है कि एनसीएल मुआवजा देने को तैयार नहीं है. एनसीएल की शर्त है कि पहले अपना घर तोड़ो उसके बाद ही मुआवजे का चेक मिलेगा. ऐसे में स्थानीय गरीब लोगों के पास रहने का संकट खड़ा हो गया. गरीब लोगों का कहना है कि हमारे पास जब एनसीएल का पैसा आएगा तब ही तो हम घर बना पाएंगे.

मोरवा के लोगों को हो रही समस्या के बारे में जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।