अक्सर आपने टीवी में बॉर्नविटा का एड देखा होगा. एड इतना शानदार होता है कि देखकर लगता है अगर अपने बच्चे को भी हर दिन बॉर्नविटा पिलाएं तो उसे भी सारो जरूरी पोषण मिलेंगे और बढ़ती उम्र में बच्चे की हाइट-वेट सब मेंटेंन रहेगा. इतना ही नहीं कुछ पैरेंट्स तो ये भी मानते हैं कि बच्चा अगर खाना खाने में आनाकानी करता है तो उसको बोर्नविटा पिला दो, दिनभर एनर्जी बनी रहेगी. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. आप जिस बॉर्नविटा पर सालों से इतना भरोसा करते आए हैं, सरकार ने उसे हेल्थ ड्रिंक की कैटेगरी से बाहर कर दिया है.
कुछ दिन पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा को नोटिस जारी करते हुए कहा कि लोगों को गुमराह करने वाले विज्ञापन, बॉर्नवीट की पैकेजिंग और लेबल की समीक्षा तो करें ही साथ ही इन्हे वापस भी लें. जिसके बाद केन्द्र सरकार ने सभी ई-कॉमर्स साइट को आदेश दिया कि बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक की कटेगरी से बाहर कर दिया जाए.
दरअसल बॉर्नविटा को लेकर विवाद सोशल मीडिया पर शुरू हुआ. पिछले साल सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमतसिंगका ने एक वीडियो शेयर करते हुए लोगों को बताया कि बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा है इसलिए इसे हेल्थ ड्रिंक नहीं कहा जा सकता. रेवंत का ये वीडियो इतनी तेजी से वायरल हुआ कि बॉर्नविटा बनाने वाली कंपनी Mondelez India की नजर इसपर पड़ गई.
कंपनी ने रेवंत को नोटिस भी भेज दिया और रेवंत को अपने अकाउंट से वीडियो हटाना पड़ा. हालांकि तब तक ये वीडियो न्यूज चैनल तक पहुंच गया था और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली संस्था NCPCR ने भी इस मामले में दखल दिया. NCPCR ने अपनी जांच में पाया कि सच में बॉर्नविटा में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा है.
आख़िर एनर्जी ड्रिंक क्या होती है और बॉर्नविटा को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ जानने के लिए वीडियो पर क्लिक करें