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देश के बड़े मुद्दों पर विवेक ने लगाई RTI, खुलासों ने किया सब को हैरान, जानिए संघर्ष की कहानी

आरटीआई एक्टिविस्ट विवेक पांडे (RTI activist Vivek Pandey) की उम्र महज 28 साल है. ऑनलाइन और ऑफलाइन आरटीआई मिलाकर विवेक पांडे करीब 1300 से ज्यादा RTI फाइल कर चुके हैं. इसमें से लगभग 700 RTI केंद्र सरकार में लगाई गई हैं.

आरटीआई एक्टिविस्ट विवेक पांडे (RTI activist Vivek Pandey) की उम्र महज 28 साल है. उम्र कम होने के बाद भी अब तक 1300 से अधिक RTI फाइल कर चुके विवेक ने देश भर में नाम कमाया है. विवेक ने देश के कई बड़े मुद्दों पर RTI लगाई है. इसमें रेलवे (Ralway), व्यापम सहित परीक्षाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर कई बड़े सवाल पूछे. इनसे कई बदलाव भी हुए जो देश की जनता के लिए नजीर बने. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि RTI से क्या-क्या बदलाव हुए और RTI से ऐसे कौन से खुलासे हुए जिनसे हर कोई हैरान रह गया.

विवेक बताते हैं कि उन्होंने वर्ण व्यवस्था को लेकर एक RTI एनसीआरटी में लगाई थी. NCRT में पढ़ाया जाता है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में विभाजन ब्राह्मणों ने किया है. इसके तथ्य किस ग्रंथ या किस बुक या किस लिटरेचर से लिए गए हैं. ऐसे में इसके जवाब में एनसीआरटी ने मनुस्मृति का जिक्र किया. जिसके बाद दोबारा से आरटीआई फाइल करके मनुस्मृति में कहां लिखा हुआ है कि इन चार वर्णों में ब्राह्मणों ने विभाजन किया है कि मांग की गई. एनसीआरटी के पास उसका कोई जवाब नहीं था. इसी तरह किताब के एक पैराग्राफ में लिखा है कि महिलाओं को, शूद्रों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं था. RTI के माध्यम से इसका जवाब मांगने पर कि यह मनुस्मृति में कहां लिखा हुआ है पर एनसीआरटी ने कहा कि हमारे पास इसका जवाब नहीं है. हालांकि बाद में एनसीआरटी ने इसे अपने नए करिकुलम से हट लिया है.

विवेक ने रेलवे में क्यों लगाई RTI
विवेक बताते हैं कि पिछले साल दिल्ली से दीपावली में घर आने के लिए दो टिकट तत्काल में करवाई. दोनों टिकट वेटिंग रह गई और पूरे पैसे बर्बाद हो गए. यह सोचकर कि बहुत लोगों के साथ वेटिंग टिकट को लेकर ऐसा ही होता होगा. तब RTI फाइल करके 3 साल में वेटिंग टिकट के कैंसिलेशन से रेलवे मिनिस्ट्री को कितना मुनाफा हुआ, इसकी जानकारी मांगी. इससे एक बड़ा खुलासा हुआ कि वेटिंग टिकट में सीट अलॉट नहीं हुई और चार्ज के तौर पर रेलवे को 1230 करोड़ रुपए का लाभ हुआ. यह खबर देश के सभी मीडिया हाउस में चली और रेल मंत्रालय ने वेटिंग टिकट के कैंसिलेशन के नियमों में बदलाव किया.

RTI से निकाली सभी योजनाओं की जानकारी
आयुष्मान भारत की योजना रही हो, या प्रधानमंत्री जनधन योजना रही हो, या फिर किसान सम्मान निधि वाली योजना हो, इन सभी की पूरी जानकारी RTI के माध्यम से विवेक पांडे निकाल चुके हैं. दरअसल, आरटीआई का उद्देश्य यही है कि ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए. यही कारण है कि विवेक इस काम को बखूबी कर रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि विवेक को क्यों लगा कि उन्हें एक आरटीआई एक्टिविस्ट बनना चाहिए. इस बारे में विवेक बताते हैं कि उन्होंने आरटीआई एक्टिविस्ट बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था. लेकिन जब 2016 में नीट पेपर लीक का केस हम सुप्रीम कोर्ट में हम लड़ रहे थे और इसी केस से जुड़ी एक जानकारी के लिए पहली बार आरटीआई दायर की थी.

1300 से ज्यादा RTI लगा चुके हैं विवेक
ऑनलाइन और ऑफलाइन आरटीआई मिलाकर विवेक पांडे करीब 1300 से ज्यादा RTI फाइल कर चुके हैं. इसमें से लगभग 700 RTI केंद्र सरकार में लगाई गई हैं. 300 से ज्यादा आरटीआई दिल्ली सरकार में, 100 के आसपास मध्य प्रदेश में, 50 RTI यूपी में और लगभग इतनी ही RTI महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में लगाई गई हैं.

FIR से हुई डराने की कोशिश
विवेक पांडे बताते हैं कि FIR दर्ज करवाकर कई बार मुझे डराने की कोशिश की गई. इस दौरान ट्वीटर पर ट्रेंड भी हुआ कि विवेक पांडे को अरेस्ट किया जाए. मैं समाज में लोगों के हित के लिए काम कर रहा हूं. लेकिन फिर भी यह हमें झेलना पड़ता है. जब प्रशासन अच्छे से काम नहीं कर पाता है तब एक आरटीआई एक्टिविस्ट को सूचना के अधिकार के तहत काम करना पड़ता है.

एक आम आदमी आरटीआई कैसे लगा सकता है
आरटीआई लगाना काफी आसान होता है. इसके लिए किसी किताब की जरूरत नहीं होती है. आप एक पोस्टल ऑर्डर लीजिए और एक फॉर्मेट तैयार करिए. फिर आपको अधिकारी या संस्था का नाम सब्जेक्ट में लिखना होगा. इसके बाद सूचना के अधिनियम 2005 के तहत आपको जो जानकारी चाहिए उसको फॉर्म में लिखना होगा. इसे पोस्टल ऑर्डर से या फिर रजिस्टर्ड डाक से भेज दीजिए. संस्था में जाकर भी रिसीव करा के रिसीविंग कॉपी ले सकते हैं. भारत के हर नागरिक को आरटीआई दायर करनी चाहिए क्योंकि यह आपका मौलिक अधिकार है. यदि हर कोई आरटीआई दायर करना शुरू कर देगा तो करप्शन होना जल्द ही रुक जाएगा. आपको अपने घर में, मोहल्ले में या आसपास कहीं भी लगता है कि भ्रष्टाचार हुआ है तो आरटीआई दायर करिए और उसको मीडिया के समक्ष लाइए.

RTI एक्टिविस्टों की हत्या
सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है हर साल कई आरटीआई एक्टिविस्टों की हत्या हो रही है. मध्य प्रदेश, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में आए दिन हत्याएं हो रही है. आरटीआई एक्टिविस्ट प्रोटेक्शन एक्ट की बात कई सालों से हो रही है लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है. सरकार और स्थानीय प्रशासन की तरफ से इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. आरटीआई एक्टिविस्टों को हर वक्त खतरा बना रहता है. हालांकि कई ऐसे लोग हैं जो आरटीआई एक्ट का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए करते हैं. लेकिन लोगों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो उसका सदुपयोग समाज के हित में करना चाहती है.

विवेक पांडे की रोचक कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।