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मध्य प्रदेश की सीमा पर बसे गांव की कहानी, शादी में मिला पंखा-फ्रिज और मिक्सर आज तक नहीं चला

बॉर्डर के इन दोनों ही गांवों में मध्यप्रदेश का दूर-दूर तक कोई मोबाइल टॉवर नहीं है. यहां के लोग छत्तीसगढ़ के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. जब ये लोग 100 नंबर या फिर 108 नंबर लगाते हैं तो छत्तीसगढ़ में कॉल लगती है. ऐसे में ना तो मध्य प्रदेश और ना ही छत्तीसगढ़ से पुलिस और स्वास्थ्य की मदद मिल पाती है.

विंध्य (Vindhya) के हिस्से में आने वाले जिलों के साथ हमेशा से ही सौतेला व्यवहार होता रहा है. सीधी जिले के धौहनी विधानसभा में कुसुमी तहसील का ताल (Tal) और छड़हुला (Chhadhaula) गांव भी इससे अछूता नहीं है. यह इलाका मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ़ (CG) के बॉर्डर पर स्थित है. सीधे जिले से 90 किलोमीटर दूर इस गांव में 99 फ़ीसदी बैगा और गोंड आदिवासी के लोग रहते हैं. इस गांव में एक घर यादव परिवार का भी है. खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर बसे इन गांवों की गिनती मध्य प्रदेश में होती है. ये लोग वोट मध्य प्रदेश में देते हैं, लेकिन अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरी में छत्तीसगढ़ जाते हैं.

बता दें कि इस इलाक़े में मवई नदी है. नदी के एक तरफ़ मध्य प्रदेश है तो दूसरी तरफ़ छत्तीसगढ़ है. छड़हुला से एक किलोमीटर दूर नदी पार करने पर छत्तीसगढ़ का चरखर गांव है. जहां पर छड़हुला के लोग अपनी टॉर्च और फ़ोन चार्ज करने जाते हैं. लोकसभा चुनाव के पहले ताल और छड़हुला दोनों ही गांवों में बिजली नहीं थी. लेकिन चुनाव के पहले ताल के बैगा परिवारों को बिजली मिल गयी. लेकिन छड़हुला में रह रहे सभी लोग और ताल के 50 फ़ीसदी गोंड अभी भी अंधेरे में रह रही है. इसका कारण साफ है कि छड़हुला में बिजली अभी भी नहीं पहुंची है. दूसरे गांव से यहां पर शादी करने आने वाली महिलाओं को विदाई में मिले पंखे, लाइट, फ्रिज और मिक्सर जल के तस रखे हैं.

स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं यहां के लोग
ताल और छड़हुला के लोग स्वास्थ्य सुविधा के लिए आज भी मोहताज हैं. यहां 30 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश का पोंडी है जहां पर इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं. लेकिन दूर होने के कारण यहां के लोग 15 किलोमीटर दूर जनकपुर में इलाज करवाने के लिए जाते हैं. कुल मिलाकर स्वास्थ्य और नेटवर्क जैसी अहम ज़रूरतें आज भी छत्तीसगढ़ से ही पूरी होती हैं.

मोबाइल टॉवर नहीं होने से होती है दिक्कत
बॉर्डर के इन दोनों ही गांवों में मध्यप्रदेश का दूर-दूर तक कोई मोबाइल टॉवर नहीं है. यहां के लोग छत्तीसगढ़ के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. जब ये लोग 100 नंबर या फिर 108 नंबर लगाते हैं तो छत्तीसगढ़ में कॉल लगती है. ऐसे में ना तो मध्य प्रदेश और ना ही छत्तीसगढ़ से पुलिस और स्वास्थ्य की मदद मिल पाती है.

शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते हैं ये गांव
छड़हुला में दिन डूबने के बाद बच्चे पढ़ नहीं पाते. शाम ढलते ही बुज़ुर्ग बिस्तर पर लेट जाते हैं. जंगली इलाक़ा होने की वजह से लोगों का बाहर जाना लगभग न के बराबर ही होता है. आवागमन के लिए भी कोई खास सुविधा नहीं है. रास्ते में बनी एक छोटी पुल भी टूटी हुई है जिससे आना-जाना मुश्किल होता है. गांव की महिलाएं अंधेरे में सिर्फ़ लकड़ी की आग से रौशनी कर खाना पकाती हैं. इन आदिवासी परिवारों को देखने-सुनने वाला कोई नहीं है. आखिर इन परिवारों के अच्छे दिन कब आएंगे.

ताल और छड़हुला गांव के लोगों की समस्या जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।