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अगर आपके पेशाब का रंग पीला या बैंगनी है, तो हो जाइए सावधान!

अगर किसी के Urine का रंग पीला, लाल, गुलाबी और हरा हो जाता है, या फिर Rainbow जैसा हो सकता है. ये जानकर हर किसी को हैरानी होगी कि Urine बैंगनी या जामुनी, नारंगी या फिर नीले रंग का भी हो सकता है. इतना ही नहीं कई लोगों के Urine का रंग कुछ ऐसा भी हो जाता है जो अमूमन किसी ने देखा ही नहीं होगा. Urine के ज़रिए हमारा शरीर west product या दूसरे शब्दों में कहें तो गंदगी को बाहर निकालता है.

इसमें शरीर में प्रोटीन, मांसपेशियों और लाल रक्त कोशिकाओं के अपघटन से बनने वाले Nitrogens कचरा भी शामिल है. इसके अलावा और कई चीज़ें पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकलती हैं जैसे- विटामिंस और दवाइयां जो हम खाते हैं.

अगर Urine का रंग लाल हो तो आमतौर पर इसका मतलब आपके Urine में Blood आ रहा है. ऐसा शरीर में पेशाब तंत्र से जुड़े किसी भी हिस्से में आए मसले से हो सकता है. किडनी, प्रोस्टेट, ब्लैडर और पेशाब नलिकाओं से जुड़े किसी भी ट्यूब में अगर रक्त का स्राव हो रहा हो तो पेशाब का रंग लाल हो सकता है.

अब हर किसी के जहन में एक सवाल उठता है कि Urine में निकल रहा ख़ून ऐसा क्यों दिख रहा है. जिसके कारण हो सकते हैं. मसलन उसकी क्वांटिटी क्या है? कितना ताज़ा है? और पेशाब किए जाने पर अलग-अलग समय पर अलग-अलग रंग का हो जा रहा है.

अब अगर रक्त स्राव ज़्यादा मात्रा में हो रहा हो तो मुमकिन है कि पेशाब का रंग इतना गाढ़ा हो कि ये Redwine जैसा लगने लगे. इस bleeding की कई वजहें हो सकती हैं- जैसे किडनी में स्टोन, ट्रॉमा, कैंसर, यूरिनरी ट्रैक्ट में कोई इन्फेक्शन. वहीं ज़रूरत से ज़्यादा चुकंदर खा लेने पर भी पेशाब का रंग लाल हो सकता है.

सामान्य परिस्थितियों में बेशक हमारा पेशाब पीले रंग के कई शेड्स में होता है और ये इस बात पर ज़ोर देता है कि, आप पानी कितने अच्छे से पीते हैं. जैसे-जैसे पानी की कमी होगी, पेशाब का रंग गहरा पीला होता जाएगा और ये कभी कभार नारंगी रंग के क़रीब पहुंच जाएगा. अगर आप अच्छी तरह से पानी या ड्रिंक पी रहे हैं तो पेशाब का रंग पतला और हल्के पीले रंग का होगा.

पेशाब में जो चीज़ उसे पीले रंग का बनाती है, उसे यूरोबिलिन कहते हैं. इसकी प्रोसेस शरीर में मौजूद पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं के विघटन से शुरू होती है. ये वो रक्त कोशिकाएं हैं जो अब अपने सबसे अच्छे रूप में नहीं बची हैं और उन्हें शरीर के सिस्टम से बाहर किया जाना ज़रूरी है. इस Process में एक Compond यानी यौगिक बनता है जिसे बिलिरूबिन कहते हैं. ये कुछ हद तक पेशाब के रास्ते और आंतों के ज़रिए शरीर से बाहर निकल जाता है. हमारा Liver इस बिलिरूबिन का इस्तेमाल एक तरह का पित्त निर्माण में करता है. जिसे बाइल कहते हैं. ये बाइल शरीर में वसा के पाचन और उसके अपघटन के लिए ज़रूरी है. बाइल आंत में रहता है और मल के ज़रिए बाहर निकलता है. इसी बाइल के कारण मल को उसका भूरा रंग मिलता है.

जब बाइल आंत तक नहीं पहुंच पाता, तो उसकी वजह गॉलस्टोन या पित्त नलिका को रोकने वाला कैंसर हो सकता है, तो बिलिरूबिन वापस रक्त वाहिकाओं में पहुंच जाता है और वहां से पेशाब के रास्ते बाहर निकलने लगता है.

इससे पेशाब का रंग गहरा होने लगता है जैसे नारंगी या भूरे रंग का. अगर बिलिरूबिन की मात्रा बढ़ जाए तो त्वचा का रंग भी पीला पड़ने लगता है. शरीर की इस स्थिति को ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस यानी एक तरह का पीलिया कहते हैं. एंटीबॉयटिक रिफैंम्पिसिन समेत कुछ दवाओं के कारण भी पेशाब का रंग नारंगी हो जाता है.

नीला और हरा पेशाब होने के मामले बहुत कम हैं. टॉयलेट में देखने पर आपको पेशाब का रंग हरा या नीला दिखे तो आपको हैरानी होगी. अगर टॉयलेट पॉट पर रखी किसी चीज़ के कारण पेशाब का रंग ऐसा नहीं हो रहा है तो आपका शरीर हरा या नीला पेशाब बना रहा है. खाने-पीने की चीज़ें जिनमें कलर के लिए हरे या नीले रंग का इस्तेमाल किया गया हो तो पेशाब का रंग हरा या नीला हो सकता है. लेकिन ये तभी होगा जब अधिक मात्रा में खाया पिया जाए. साथ ही अनेस्थेटिक्स, विटामिंस, एंटीहिस्टामाइंस जैसी कुछ दवाओं के कारण भी पेशाब का रंग हरा या नीला हो सकता है.

एक तथ्य ये भी है कि कुछ जीवाणु भी ऐसे कम्पाउंड बनाते हैं जिनका रंग हरा होता है. सुडोमोनास एरुजिनोसा नाम का बैक्टिरिया नीले-हरे रंग का पायोसायनिन द्रव्य बनाता है.

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