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Athletics career: एथलेटिक्स में बनाना है करियर, इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

हिमाचल के रहने वाले एचएस अटवाल साल 1981 में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में बतौर खेल निर्देशक के रूप में पदस्थ हुए थे. इससे पहले वह साल 1976-77 में 5 किलोमीटर, 10 किलोमीटर और हाफ मैराथन के नेशनल चैंपियन रहे थे.

भारत के कई युवा ऐसे हैं जो एथलेटिक्स में करियर (Athletics career) बनाना चाहते हैं लेकिन उन्हें इसके लिए सही समय पर सही मार्गदर्शन (Guidance) नहीं मिल पाता है. दरअसल, एक पेशेवर एथलीट बनने के लिए कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. ऐसे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से उन सभी जरूरी बातों को बताएंगे. बता दें कि हरभजन सिंह अटवाल (Harbhajan Singh Atwal) विंध्य क्षेत्र के एक प्रमुख कोच हैं. देश भर के खिलाड़ी इन्हें एचएस अटवाल के नाम से जानते हैं. ख़ुद एक नेशनल चैम्पियन (national champion) रहे एचएस अटवाल ने अपने करियर में सैकड़ों खिलाड़ियों को मेडल जितवाए हैं. मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले एचएस अटवाल साल 1981 में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में बतौर खेल निर्देशक के रूप में पदस्थ हुए थे. इससे पहले वह साल 1976-77 में 5 किलोमीटर, 10 किलोमीटर और हाफ मैराथन के नेशनल चैंपियन रहे थे.

खिलाड़ियों को इन बातों का रखना होता है ध्यान
कोच हरभजन सिंह अटवाल के मुताबिक किसी भी रनर के अंदर 6 सेकंड से ज्यादा एफिशिएंसी नहीं होती है. फिर चाहे वह इंटरनेशनल खिलाड़ी ही क्यों ना हो. ऐसे में अगर किसी भी खिलाड़ी को दौड़ने में 15 सेकंड लगता है तो वह अपने सिर्फ 6 सेकंड ही पूरी फुर्ती के साथ दे सकता है. अगर वह इससे कम समय दे रहा है तो मतलब की वह कमजोर है.

दौड़ शुरू होने के पहले की मूवमेंट
एथलेटिक्स कोच एचएस अटवाल बताते हैं कि दौड़ शुरू होने के पहले जीरो मूवमेंट होती है. जब तक बंदूक से गोली नहीं चलेगी आप कोई भी मूवमेंट नहीं कर सकते हैं. इसके लिए बहुत प्रैक्टिस की जरूरत होती है. खिलाड़ी को चाहिए कि वह सीटी, घंटी, ताली और बंदूक के साथ अलग – अलग अभ्यास करें. इसके साथ ही एक एथलीट को अपनी हाइट के मुताबिक स्टांस रखना चाहिए.

विंध्य के खिलाड़ी कैसे बने नेशनल चैंपियन जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।।