सतना जिले के चित्रकूट में शनिवार को प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया और सती अनुसुइया क्षेत्र में किए गए अवैध कब्जों को ध्वस्त कर दिया. राजस्व विभाग, वन विभाग और नगर परिषद की संयुक्त टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए लगभग 2.5 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमणकर्ताओं के नियंत्रण से मुक्त कराया. यह कार्रवाई मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना के तहत चित्रकूट के समग्र विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.
100 से अधिक दुकानों को किया गया ध्वस्त
सती अनुसुइया माता मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में गैरकानूनी दुकानें बना ली गई थीं. इसके अलावा, अतिक्रमण करने वालों ने मंदाकिनी नदी के शुरुआती बिंदु तक पर कब्जा कर लिया था, जिससे इस पवित्र नदी का प्रवाह बाधित हो रहा था और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो गया था. प्रशासन ने इस अतिक्रमण को हटाने के लिए पूरी तैयारी के साथ कार्यवाही की. तीन जेसीबी मशीनों की मदद से 100 से अधिक अवैध दुकानों और अन्य संरचनाओं को गिरा दिया गया. कार्रवाई शुरू होने से पहले ही कुछ लोगों ने अपने गैरकानूनी कब्जे खुद ही हटा लिए थे. मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के कुछ व्यापारियों ने वन भूमि पर अतिक्रमण करके स्थायी निर्माण कर लिए थे, जिसके कारण क्षेत्र का विकास रुका हुआ था.
इस महत्वपूर्ण कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह के विरोध या अप्रिय स्थिति से बचने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल पहले से ही तैनात था. मौके पर एसडीएम एपी द्विवेदी, एसडीओ फॉरेस्ट अभिषेक तिवारी और नगर परिषद के सीएमओ सहित कई उच्च अधिकारी मौजूद रहे और उन्होंने कार्रवाई की निगरानी की. एसडीओ फॉरेस्ट अभिषेक तिवारी ने बताया कि वन क्षेत्र से सभी प्रकार के अवैध कब्जे सफलतापूर्वक हटा दिए गए हैं.
प्रशासन की इस कड़ी कार्रवाई से अतिक्रमणकर्ताओं में खलबली मच गई है, जबकि स्थानीय निवासियों ने इस कदम का स्वागत किया है. उनका मानना है कि इस कदम से न केवल वन भूमि सुरक्षित रहेगी बल्कि मंदाकिनी नदी का स्वाभाविक प्रवाह भी बना रहेगा. यह कार्रवाई चित्रकूट के सौंदर्यीकरण और विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हो सकती है.