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एक्सिओम मिशन 2025: भारत के लिए ख़ास पल 

हाल में ही एक्सिओम मिशन कई बार टलने के बाद,अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से लांच किया गया. जिसमे भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला भी शामिल हुए है. ऐसा करने के साथ ही वह राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय बन गये है,और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय बन गये.

आखिर है क्या ये मिशन 
ये एक प्राइवेट स्पेसफ्लाइट है जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आई एस एस तक जाएगी.ये पूरा मिशन एक्सिओम स्पेस के स्पेस एक्स क्रू ड्रैगन एयरक्राफ्ट द्वारा संचालित होगा.स्पेस एक्स क्रू ड्रैगन एयरक्राफ्ट एक रियूजएबल एयरक्राफ्ट है जो एस्ट्रोनॉटस को स्पेसस्टेशन से लाने ले जाने के काम आता है.

चालक दल में शामिल
मिशन के चालक दल में अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन, भारत के मिशन पायलट शुभांशु शुक्ला, पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की-विस्नेव्स्की और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू शामिल होंगे.

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मिशन का उद्देश्य-

1.वाणिज्यिक अंतरिक्ष पहल:
पृथ्वी के पास के अंतरिक्ष (Low Earth Orbit) में अब निजी कंपनियाँ भी काम कर रही हैं. ये कंपनियाँ अंतरिक्ष पर्यटन (यानी लोग घूमने के लिए अंतरिक्ष जा सकें) और निजी अंतरिक्ष स्टेशनों .को बनाने जैसे कामों पर ध्यान दे रही हैं. 
2. वैज्ञानिक अनुसंधान:
इन मिशनों का एक मकसद यह भी है कि अंतरिक्ष में बिना गुरुत्वाकर्षण (Micro Gravity) के हालात में वैज्ञानिक प्रयोग किए जाए.इससे नई दवाइयाँ, नए पदार्थ और पृथ्वी से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है.
3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
इन मिशनों में कई देशों की अंतरिक्ष एजेंसियाँ, निजी कंपनियां और वैज्ञानिक मिलकर काम कर रहे हैं.इससे अंतरिक्ष की खोज में दुनिया भर का सहयोग बढ़ रहा है.
4. व्यवहार्यता का प्रदर्शन:
ये मिशन यह दिखाते हैं कि निजी कंपनियाँ भी अंतरिक्ष में स्टेशनों को चला सकती हैं, जहाँ रिसर्च और दूसरे काम हो सकते हैं.इससे भविष्य में अंतरिक्ष में इंसानों की लगातार मौजूदगी संभव हो सकती है.

भारत के लिए ख़ास क्यूं-
41 वर्षो के बाद यह भारत का पहला मानव मिशन है.शुभांशु शुक्ला जो की लखनऊ के रहने वाले है , ISS पर 14 दिनों तक रहेंगे, जहां वे 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेंगे, जिनमें से 7 इसरो द्वारा डिजाइन किए गए हैं.

 

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