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एथेनॉल क्रांति: कैसे भारत बन रहा है ग्रीन एनर्जी का ग्लोबल लीडर?

एथेनॉल क्रांति: कैसे भारत बन रहा है ग्रीन एनर्जी का ग्लोबल लीडर?

एथेनॉल क्रांति: एथेनॉल एक प्रकार का बायोफ्यूल है जो गन्ने, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों से बनाया जाता है. इसे पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. इससे पेट्रोल की खपत कम होती है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है.

भारत ने कैसे हासिल की यह उपलब्धि?

कुछ वर्ष पहले तक भारत में पेट्रोल के साथ एथेनॉल की मात्रा केवल 2% थी. लेकिन सरकार की प्रभावी नीतियों और किसानों के सहयोग से यह बढ़कर 15% तक पहुँच गई है. भारत का लक्ष्य 2025 तक इसे 20% तक पहुँचाने का है.

2024 में भारत ने एथेनॉल उत्पादन में अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया. आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा एथेनॉल उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन चुका है.

किसानों को क्या लाभ हुआ?

  • गन्ने और मक्का जैसी फसलों की मांग बढ़ने से किसानों को बेहतर मूल्य मिल रहा है.
  • चीनी मिलों की बंद पड़ी इकाइयों को एथेनॉल उत्पादन का नया अवसर मिला है.
  • किसानों के लंबित बकाए का भुगतान तेजी से हो रहा है.
एथेनॉल क्रांति: कैसे भारत बन रहा है ग्रीन एनर्जी का ग्लोबल लीडर?
एथेनॉल क्रांति: कैसे भारत बन रहा है ग्रीन एनर्जी का ग्लोबल लीडर?

देश को क्या फायदा होगा?

  • भारत हर साल हजारों करोड़ रुपये का कच्चा तेल आयात करता है. एथेनॉल के उपयोग से इस खर्च में कमी आएगी.
  • पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन कम होगा.
  • देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.

क्या एथेनॉल इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प है?

नहीं, एथेनॉल इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का विकल्प नहीं है, बल्कि यह उनके संक्रमण (ट्रांजिशन) में सहायक है. EV इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में समय लगेगा. इस बीच एथेनॉल के उपयोग से पेट्रोल की खपत घटाकर प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है.

पर्यावरण को क्या लाभ होगा?

  • एथेनॉल के जलने से पेट्रोल की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं.
  • वायुमंडल में जहरीली गैसों की मात्रा कम होगी.
  • ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भारत का योगदान बढ़ेगा.

भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

भारत अब केवल तेल आयात करने वाला देश नहीं रहा. एथेनॉल उत्पादन में शीर्ष पर पहुँचकर भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है. यह सफलता सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि किसानों, उद्योगों और हर भारतीय की जीत है.

अब सवाल यह है कि क्या हम सभी मिलकर इस बदलाव को और तेज कर पाएंगे? ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और एक मजबूत अर्थव्यवस्था मिल सके.

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