देश में चुनाव की जब भी बात आती है, ईवीएम की चर्चा शुरू हो जाती है. एकबार फिर देश आम चुनाव की तैयारी में जुटा है. अप्रैल महीने से साल 2024 के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जून के महीने में नतीजे घोषित होंगे. इस बीच ईवीएम पर वार-पलटवार का दौर जारी रहेगा. कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई बार अपनी जनसभा में ये कह चुके हैं कि ईवीएम में कमी है. राहुल गांधी ने कहा कि हम ईवीएम को लेकर इलेक्शन कमीशन के पास भी जा चुके हैं लेकिन वो सुनने को तैयार नहीं हैं.
सिर्फ कांग्रेस ही नहीं कई विपक्षी दल भी ये दावा कर चुके हैं कि ईवीएम में कमी है और इसे हैक भी किया ज सकता है. ईवीएम यानी कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन. देश में ईवीएम के जरिए चुनाव आयोग ने पहली बार चुनाव साल 1982 में करवाया था. ईवीएम का इस्तेमाल चुनावी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए किया गया, क्योंकि ईवीएम के माध्यम से एक लोकसभा क्षेत्र में पड़े वोटों की गिनती 3-4 घंटों में आसानी से की जा सकती है. इसके इस्तेमाल से न सिर्फ समय बल्कि पैसे की भी बचत होती है.
देश में जिन ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होता है उन्हें भारत की ही दो कंपनियां बनाती हैं. पहली है बीईएल यानी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड. यह कंपनी भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है. ईवीएम बनाने वाली दूसरी कंपनी है ईसीआईएल यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, यह डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के तहत काम करती है.
ईवीएम हैक करने को लेकर चुनाव आयोग का दावा है कि इसे कंप्यूटर से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. ईवीएम स्टैंड अलोन मशीन है जो इंटरनेट या किसी भी तरह के नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होती. इसलिए इसे हैक नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने कहा था कि न तो ये हैक हो सकती है और न ही इसके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. इसमें कोई फ्रीक्वेंसी रिसीवर या डीकोडर नहीं होता और न ही ये किसी ब्लूटूथ जैसे वायरलेस डिवाइस के जरिए छेड़छाड़ हो सकती है.
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