दिल्ली चुनावों (Delhi election) को लेकर कुछ खास बात निकलकर आ रही है, इस बार दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में आप सरकार को लेकर असंतोष है. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2015 और 2020 में लगभग 70% वाल्मीकि और जाटवों तथा 83% मुस्लिमों का वोट आप को मिला था. लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ अलग देखने को मिल सकता है. नागरिक सुविधाओं की स्थिति से कई लोग ‘आप’(AAP) से नाखुश जरूर हैं, लेकिन कल्याणकारी उपायों की आस में अब भी उससे छिटके नहीं हैं. वहीं नरेंद्र मोदी सरकार के दो कार्यकालों के बाद भी कई लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में भाजपा के लिए भी ये मतदाता चुनौती बने हुए हैं. इनकी सबसे बड़ी समस्या है पीने के पानी की हमेशा बनी रहने वाली कमी और झुग्गी हटने का डर. वहीं मुस्लिम समुदाय इस बार कांग्रेस की तरफ झुक रहा है और वो आप पर ‘हिंदुत्व के सामने चुप रहने’ का आरोप लगा रहा है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार 5 फरवरी को मतदान होगा. आप तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, तो भाजपा 23 साल की हार का सिलसिला तोड़ने की आशा में है. वहीं कांग्रेस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी है. इंडिया टूडे के प्रिया पारीक के अनुसार इस बार दिल्ली चुनाव में पांच फैक्टर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
मध्यमवर्ग- दिल्ली में 67% से ज़्यादा घर मध्यम वर्ग के हैं और चुनावी तौर पर इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. आम बजट 2025-26 में मध्यवर्ग के लिए की गई घोषणाओं से भाजपा को दिल्ली चुनाव में मदद मिल सकती है.
दलित और मुसलमान : दिल्ली के मतदाताओं में मुसलमान 12.68% और दलित 16.92% हैं. मुख्य रूप से झुग्गियों और बस्तियों में बसे दलित हालिया सालों में ‘आप’ के साथ रहा है, लेकिन अब रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा कि झुग्गियों को नहीं हटाया जाएगा, अगर असर करती है तो दलित वोट में भाजपा सेंधमारी कर सकती है. वहीं पिछले दोनों विधानसभा चुनावों में मुस्लिम आप के साथ रहा है. कांग्रेस के प्रयासों के बावजूद उनके आप के साथ जाने की उम्मीद है.
मुफ़्त सुविधाएं : इस बार चुनावी घोषणापत्र में आप, कांग्रेस और भाजपा सभी ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ढेर सारे फ्रीबीज के वादे किये हैं. ‘आप’ ने मुफ़्त बिजली, पानी और नकद हस्तांतरण पर ज़ोर दिया है, जबकि भाजपा ने इस बार इन वादों की बराबरी की है. अब यह जनता पर है कि वह किसके वादे पर भरोसा करती है.
महिलाएं : भारत की आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 48% है. उनका चुनावी प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है. राष्ट्रीय राजधानी में 71.7 लाख से ज़्यादा महिला मतदाता हैं. दोनों दल आप और बीजेपी ने ने इन्हें लुभाने के लिए क्रमश: 2100 व 2500 रुपये मासिक हस्तांतरण का वादा किया है.
चेहरा : आप से मुख्यमंत्री का चेहरा अरविंद केजरीवाल हैं तो वहीं भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाम पर वोट मांग रही है. उसने दिल्ली सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
सभी पार्टियों ने की फ्रीबीज की घोषणाएं
इस बार सभी राजनीतिक दलों ने मुफ्त बिजली, महिलाओं को नकद हस्तांतरण, मुफ़्त बस यात्रा, छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, पेंशन और बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवा लाभ को शामिल किया है. केंद्र सरकार ने बजट में मध्यम वर्ग के लिए 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगाने की घोषणा की है.
दिल्ली चुनाव में फर्जी ओपिनियन पोल में विजयी: इस बीच सोशल मीडिया पर एबीपी न्यूज के नाम से एक फर्जी जनमन सर्वेक्षण वायरल हो रहा है. इसमें दिल्ली चुनाव में भाजपा को जीत मिलती दिखाई गई है. इसके अनुसार, भाजपा को 47 सीटें, आप को 17 सीटें और कांग्रेस को 6 सीटें मिलने का अनुमान है. द प्रिंट ने इसका फैक्ट चेक किया है और एबीपी ने इस पर स्पष्टीकरणदेते हुए इसे फर्जी बताया है.
हरकार का आभार, विशेष अनुबंध के तहत स्पेशल आर्टिकल.