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जानिए कब और कैसे हुई मोहन यादव की शादी की

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मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के लिए मोहन यादव नाम आते ही उनके ससुराल रीवा में खुशी की लहर दौड़ गई. मोहन यादव की पत्नी सीमा का पैतृक गांव उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर में है. लेकिन उनके पिता रीवा में शिक्षक के रूप में पदस्थ थे. जिसके चलते उनका पूरा परिवार रीवा में रहता था. मोहन यादव की पत्नी सीमा और उनके तीनों भाइयों की पूरी पढ़ाई रीवा से ही संपन्न हुई है.

सीमा यादव के तीन भाई हैं. उनके बड़े भाई वायु सेना से सेवानिवृत्त हो गए और अब उनका पूरा परिवार जबलपुर में रहता है. वहीं दूसरे नम्बर के भाई सदानंद का पूरा परिवार रीवा में रहता है. सदानंद जेल मार्ग सरस्वती शिशु मंदिर रीवा में शिक्षक हैं. वहीं छोटे भाई विवेकानंद यादव किसान हैं जो अपने पैतृक गांव सुल्तानपुर में ही रहते हैं.

इस प्रकार मोहन यादव का रीवा से पारिवारिक जुड़ाव है. मोहन के वैवाहिक रिश्ते की डोर रीवा से ही बंधी है. सीमा यादव के भाई सदानंद बताते हैं कि मोहन और सीमा की शादी साल 1992 में हुई थी. साल 1992 में रीवा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक बड़ा सम्मेलन शहर के जेल मार्ग सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में आयोजित किया गया था. तब उस समय मोहन यादव ABVP के राष्ट्रीय मंत्री थे, इस दौरान भी मोहन यादव रीवा आए हुए थे.
मोहन एक अच्छे छात्र नेता के साथ-साथ अच्छे वक्ता भी थे. उस सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रीवा से भी कुछ लोग शामिल थे.

ब्रम्हानंद को सीमा की शादी करना था. जिसकी उन्होने अपने साथियों से चर्चा भी की थी. अगर आप लोगों को कोई योग्य लड़का मेरी बेटी लायक दिखे तो बताइएगा. तब संघ के ही एक मित्र ने ब्रम्हानंद को मोहन यादव के बारे में बताया जिसकी सूचना मिलते ही पिता जी सरस्वती शिशु मंदिर पहुंचे और मोहन से मुलाकात कर उनसे और उनके परिवार के बारे में जानकारी ली. इसके बाद उन्होने मोहन यादव को अपने घर भी बुलाया. ये सारी बात होने के बाद पिता जी उज्जैन गए मोहन के परिवार से मिलने. इस तरह दोनों परिवारों के बीच रिश्ता तय हो गया.

सदानंद बताते हैं कि मोहन और सीमा की शादी पहले रीवा से ही होनी थी. लेकिन बाद में दोनों परिवारों के बीच बात हुई कि सीमा और उनके परिवार के सभी सदस्य उज्जैन में जाकर शादी करेंगे. उज्जैन में उन दोनों की धूमधाम से शादी हो गई. मोहन यादव का रीवा से गहरा संबंध होने के चलते वो हमेशा रीवा आते रहते हैं.  ब्रह्मानंद ने रीवा जिले के अलग-अलग स्कूलों में लंबे समय तक शिक्षा की सेवाएं दी हैं. ब्रह्मानंद यादव समाज के हित के सक्रिय कार्यकर्ताओं के साथ संघ से जुड़े हुए व्यक्ति थे. ब्रह्मानंद विश्व हिंदी परिषद से भी जुड़े थे. विश्वहिंदु परिषद में उन्होंने 15 से 20 साल तक कार्य किया. साल 1987 में रीवा की सिलपरा की स्कूल से वह सेवानिवृत हुए थे.