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Toggleअनूपपुर में डीएपी खाद की किल्लत: किसानों की बढ़ती परेशानी
अनूपपुर में डीएपी खाद की किल्लत: अनूपपुर जिले में इन दिनों डीएपी खाद की भारी किल्लत देखने को मिल रही है. बीते 10 से 15 दिनों से जिले की अधिकांश सहकारी समितियों में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है. किसान रोज़ उम्मीद लेकर समितियों का रुख कर रहे हैं, मगर हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर लौटा दिया जा रहा है. खेतों में धान की रोपाई और अन्य फसलों की तैयारी के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे में खाद की अनुपलब्धता ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है.
निजी दुकानों पर भी नहीं मिल रही राहत
खाद की कमी सिर्फ सरकारी समितियों तक सीमित नहीं है. निजी कंपनियों के आउटलेट्स पर भी डीएपी की आपूर्ति लगभग बंद है. जिन किसानों के पास विकल्प होता था कि वे निजी दुकानों से खाद खरीद लें, अब वे भी खाली हाथ लौट रहे हैं. इससे ग्रामीण अंचलों में कृषि कार्यों की गति पर असर पड़ना शुरू हो गया है.
विकल्प तलाशते किसान, लेकिन असर सीमित
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुछ किसान सुपर यूरिया और पोटाश को मिलाकर डीएपी की कमी की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस वैकल्पिक उपाय से उन्हें वांछित परिणाम नहीं मिल रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का भी कहना है कि डीएपी की जगह अन्य उर्वरकों से संतुलित पोषण मिल पाना मुश्किल है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित हो सकता है.

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अधिकारियों के पास जवाब नहीं
समितियों के कर्मचारियों का कहना है कि डीएपी खाद की नई खेप जल्द आने वाली है, लेकिन इसकी कोई निश्चित तिथि नहीं बताई गई है. यही अनिश्चितता किसानों के बीच गहरा असंतोष और चिंता पैदा कर रही है. सरकारी एजेंसियों की ओर से समय पर आपूर्ति न होने से किसानों का भरोसा कमजोर पड़ने लगा है.
किसानों की मांग: जल्द से जल्द आपूर्ति हो
किसानों ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग से मांग की है कि डीएपी खाद की आपूर्ति को प्राथमिकता दी जाए. उनका कहना है कि अगर और देरी हुई तो फसल की तैयारी और उत्पादन दोनों प्रभावित होंगे, जिससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. कुछ किसानों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपना सकते हैं. डीएपी खाद की आपूर्ति बाधित होना सिर्फ एक कृषि समस्या नहीं, बल्कि ग्राम्य जीवन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुद्दा बनता जा रहा है. प्रशासन को चाहिए कि वह त्वरित कार्रवाई कर किसानों को राहत पहुंचाए, ताकि अनूपपुर जैसे कृषि-प्रधान जिले में खाद संकट की मार से बचा जा सके.