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खेत छोड़ खाद के लिए पूरा दिन समिति की लाइन में बिता रहे किसान

सरकार के तमाम वादों और योजनाओं के बावजूद विंध्य क्षेत्र का किसान बिजली, पानी, महंगी खाद जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं फिर भी किसानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है.  

किसान अपने खेत भगवान भरोसे छोड़कर पूरा दिन रासायनिक खाद के लिए लंबी लाइन में बिताने को मजबूर हैं. हालांकि पूरा दिन बर्बाद करने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि खाद मिल ही जाएगी. कई दिन बर्बाद करने के बाद जब सारी उम्मीदें टूट जाती हैं तो ब्लैक में महंगी खाद ख़रीदने के लिए पैसे का इंतज़ाम करने में जुट जाते हैं किसान.   

रीवा जिले के कई गांव जैसे बदवार, गुढ़वा, उमरी, महसांव के कई किसानों का यही हाल है. अपने गांव की समिति में रासायनिक खाद न मिलने पर किसान कई किलोमीटर दूर दूसरे गांव की समिति में कई सारे दस्तावेज जैसे ऋण पुस्तिका, आधार कार्ड, पैन कार्ड लेकर जाते हैं और कई बार यहां से भी नाउम्मीद होकर लौटते हैं.  

खरीफ के सीजन यानि उनहारी के समय में एक तो बारिश नहीं हुई और अब रबी का सीजन आया तो शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते खाद ही नहीं मिल रही है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो किसानों को अपनी फसलों से हाथ धोना पड़ेगा.

किसानों का साफ तौर पर कहना है कि हम लोग 20-20 किलोमीटर दूर से आते हैं और फिर पूरा दिन समिति में लंबी लाइन लगा कर खड़े रहते हैं लेकिन उसके बाद भी हमें खाद नहीं मिलती है. अगर समिति में 500 बोरी खाद आती है तो किसानों को बड़ी मुश्किल से एक बोरी मिलती है जबकि एक एकड़ में किसान को कम से कम डेढ़ बोरी खाद मिलनी चाहिए. इस हिसाब से 5 से 7 एकड़ भूमि वाले किसानों को 10 से 12 बोरी खाद मिलनी चाहिए. किसानों का आरोप है कि समिति के प्रबंधक अपने मुनाफे के लिए खाद ब्लैक में बेच देते हैं.

विंध्य फर्स्ट की टीम ने समिति की लाइन में लगे किसानों से बात की और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की.

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