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तंगहाली की मार झेलकर भी परीक्षा पास कर ली, अब भर्ती के इंतज़ार में जेब खाली और आंखें पथरा गईं

रीवा जिला गुढ़ तहसील अंतर्गत बड़ागांव के रहने वाले दीपक कुमार नामदेव पटवारी चयनित अभ्यर्थी हैं. ये भी पटवारी परीक्षा पास कर चुके हैं. 30 जून 2023 को जारी हुए पटवारी परीक्षा परिणाम में इन्हें सफलता हासिल हुई. परिणाम आया तो पूरा घर खुश हुआ. मगर यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई. घोटाले की खबर आने के बाद भर्ती रुक गई.

दीपक कुमार नामदेव बताते हैं कि, मैं एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से आता हूं. पिता गांव बड़ागांव (गुढ़ तहसील) में सिलाई का काम करते थे. आमदनी ज्यादा नहीं थी. फिर भी पिताजी ने 16-16 घंटे काम करके परिवार को पाला. हम दो भाई बहन हैं. दोनों भाई बहन सरकारी स्कूल में पढे़. मेरे दसवीं और बारहवीं में 80 प्रतिशत नंबर आए थे. घर के हालात ठीक नहीं थे, फिर भी पिता ने मेरी पढ़ाई नहीं रोकी.

लॉकडाउन के समय में घर की हालत बिगड़ी
बारहवीं पास करने के बाद मेरा एडमिशन रीवा के एपीएस कॉलेज में कराया. बीएससी कंप्यूटर साइंस से प्रथम श्रेणी में पास की. साल 2020 में कोरोन काल में लॉकडाउन लगने के बाद घर की माली हालत बिगड़ गई. आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी तो घर पर ही गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा. कोचिंग से मिले पैसे से घर का खर्च चलाता था. पिता का काम धंधा बंद हो चुका था. मुझ पर परिवार का पूरा भार था. एग्जाम सेंटर जाने के लिए इतने पैसे नहीं थे कि ट्रेन में रिजर्वेशन करा सकूं. जनरल डिब्बे में खड़े होकर 10 घंटे का सफर तय किया. फॉर्म भरने तक के लिए पैसे नहीं थे, बड़े मुश्किल से पैसे जुटाए और पटवारी का फॉर्म भरा था.

मां के इलाज के लिए पैसे नहीं थे
जिस दिन पटवारी भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरा, उसी दिन माता जी की तबियत बिगड़ गई. उनके इलाज के लिए पैसे तक नही थे. रिश्तेदारों से उधार लेकर इलाज कराया. घर में मां पिता जी के अलावा छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी. मैं टूट चुका था. मैंने सालों पटवारी एग्जाम की तैयारी की. नॉर्मलाइजेशन के बाद मेरे 151 मार्क्स आए हैं. उसके आगे की स्थिति किसी से छिपी नहीं है कि भर्ती को लेकर प्रदेशभर में क्या हो रहा है. सभी चयनित अभ्यर्थी इस उम्मीद में हैं कि एक दिन सरकार सुध लेगी.

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