मशहूर गायिका प्रतिभा सिंह बघेल विंध्य क्षेत्र यानी कि बघेलखंड से आती हैं. उनका बचपन रीवा में गुज़रा है. जिस तरह अलग-अलग क्षेत्र में उनकी बोली और अपने अलग-अलग लोकगीत हैं. इस तरह से बघेलखंड की अपनी बोली बघेली है. बघेलखंड में बघेली लोकगीतों का चलन है. यहां जब किसी घर में कोई शुभ अवसर होता है, तब बघेली गीत गाए जाते हैं. अलग-अलग तरह के अवसरों पर अलग-अलग लोकगीत गाए जाते हैं, शादी ब्याह में बिआह, दादरा, सुहाग जैसे गीत गाए जाते हैं.
प्रतिभा सिंह बघेल, बघेलखंड से होने के साथ-साथ बघेल हैं, उन्होंने कहा बचपन से ही वह बघेली लोकगीत सुनती आई हैं, उनके लिए और उनके जीवन में बघेली लोकगीतों की बहुत मान्यता है. जब वह छोटी थीं, तब स्कूल में सुहाग गीत गाकर प्रतिस्पर्धा में विजई हुई थीं.
प्रतिभा सिंह बघेल ने बताया बचपन में उनकी दादी और उनकी नानी उन्हें बघेली लोकगीतों के बारे में बताया करती थीं लय और ताल का ज्ञान देती थीं. इंटरव्यू के दौरान प्रतिभा सिंह बघेल ने बघेली लोकगीत सुहाग जो की शादी के शुभअवसर में गाया जाता है, गाकर सुनाया.
बघेली लोकगीतों के बारे में प्रतिभा का कहना है, जिन लोगों ने इन गीतों की रचना की है पुराने जमाने में, जिस तरह से एक चित्रकार चित्र में कला, नक्काशी करता है. वही नक्काशी इन गीतों में उन्हें देखने को मिलती है. साथ ही प्रतिभा ने कहा अगर कभी भी उन्हें मौका मिलता है की बघेली लोकगीतों पर वह कोई प्रोजेक्ट तैयार करें तो वह इससे चूकेंगी नहीं. यहां तक की उन्होंने कहा कि, वह खुद एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार करना चाहती हैं जिसमें सभी बघेली लोकगीतों को विश्व स्तर पर लाया जा सके.
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प्रतिभा की सुरीली आवाज में बघेली लोकगीत शादी का सुहाग सुनने के लिए देखें पूरा वीडियो. और अगले भाग में पढ़िए प्रतिभा सिंह बघेल के बचपन के कुछ किस्से.