गेहूं की फसल तैयार करना किसानों के लिए कड़ी मेहनत का काम है. फसल को तैयार करने के साथ-साथ इसे सुरक्षित भी रखना होता है. पहले खेतों में खड़ी फसल को कीड़ों से बचाना उसके बाद जब फसल तैयार हो जाए तो चूहों का खतरा बढ़ जाता है. चूहे खेत में तो गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाते ही हैं, कटाई के बाद भंडारण में चूहों का खतरा और बढ़ जाता है.
यानी जैसे-तैसे किसान अपनी गेहूं की फसल को चूहों से बचाकर खेत से घर ले आए तो भंडारण और परिवहन के समय ये खतरा और बढ़ जाता है. हर साल बड़ी मात्रा में चूहे किसानों की फसल बर्बाद कर देते हैं. चूहे के मल-मूत्र से भी गेहूं की फसल को भारी नुकसान होता है. अगर चूहे किसानों की फसल को नुकसान न पहुंचाए तो उन्हे अपनी फसल का काफी अच्छा बाजार मूल्य मिल सकता है.
किसान शैलेन्द्र कोल बताते हैं कि खेतों में बड़े-बड़े बिल बना लेते हैं चूहे जिसकी वजह से फसला सूखने लगती है और बाकि बची फसल खा जाते हैं. किसी तरह से अगर गहाई हो जाती है भंडारण के समय दिक्कत और बढ़ जाती है. किसान सुनीत तिवारी बताते हैं कि जब खेतों में फसल में छोटे-छोटे बीज आने लगते हैं तबसे ही खेतों में चूहे मारने वाली दवाई रखनी पड़ती है.
कृषि विशेषज्ञ रामनाथ तिवारी बताते हैं कि बरसात में चूहे खेत की फसलों को नुकसान कम पहुंचाते हैं क्योंकि उनके बिल में पानी भर जाता है, तो घरों की तरफ भागने लगते हैं. रबी की फसल को चूहे नुकसान ज्यादा पहुंचाते हैं. खेतो में खड़ी फसल और भंडारण की गई, अनाज, दलहन, तिलहन को चूहे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
अगर खेतों में खड़ी फसल को चूहे नुकसान पहुंचा रहे हैं तो दो दवाएं बेहद जरूरी होती हैं. एक है जिंक फास्फाइड जिसका एक या आधा किलों का पैकेट खरीदें क्योंकि पुड़िया में मिलावट की संभावना ज्यादा होती है. इसे आटे में मिलाकर खेत में रखें. यह दवाई गोदाम में भी रखी जा सकती है. दूसरी दवा है एल्यूमीनियम फास्फाइड.
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