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सिंगरौली: मोरवा के विस्थापन का दंश, सालों से लड़ रहे पुनर्वास और हक़ की लड़ाई

मोरवा के विस्थापितों का दर्द नहीं समझ रही सरकार.

सिंगरौली (Singrauli) भारत का एक ऐसा जिला है जहां से लगभग 32% कोयला और 38% बिजली उत्पन्न होती है. सिंगरौली मध्यप्रदेश का DMF का सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला मॉडल है. राजेश सिंह बताते हैं कि पिछले तीन पीढ़ी से हम लोग यहां रह रहे हैं. सिंगरौली मध्य प्रदेश का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा नगर निगम के रेवेन्यू का क्षेत्र है, उसके बावजूद इस क्षेत्र के किसी भी इलाके में न तो अच्छी सड़कें हैं और न ही कोई अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है. इतना ही नहीं यहां लोगों का दैनिक जीवन भी अव्यवस्थित है. इसका सबसे बड़ा कारण सिर्फ और सिर्फ यहां की कोल माइनिंग (Coal Mining) व्यवस्था है.

धरती का हो रहा शोषण
कोल माइनिंग व्यवस्था से ना सिर्फ धरती का शोषण हो रहा है. बल्कि यहां के लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में स्थानीय युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ हम प्रचुर मात्रा में कोयला निकाल कर पर्याप्त मात्रा में बिजली उत्पन्न कर रहे हैं. लेकिन इस उत्पादन का सबसे बड़ा दंश यहां के स्थानीय लोगों का झेलना पड़ रहा है. सिंगरौली के लोगों की औसत आयु बाक़ी इलाक़ों से 10 साल कम हो गई है.

पिछड़ा जिला है सिंगरौली 
राजेश सिंह के मुताबिक शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे निम्न स्तर पर सिंगरौली जिले में हैं. इससे बड़े दुख की बात और क्या हो सकती है कि इतनी कुछ संपदा होने के बाद सिंगरौली भारत का तीसरे नंबर का पिछड़ा ट्राइबल क्षेत्र है. सिंगरौली जिला का मोरवा जिस स्थिति में आज से 75 वर्ष पहले था आज उससे भी बुरी स्थिति में हो गया है.

अस्वस्थ हैं मोरवा के लोग
सिंगरौली के मोरवा में रहने वाले अधिकांश व्यक्ति प्रदूषण के चलते बीमार हैं. यहां के स्थानीय लोगों का यदि एक्सरे होता है तो सिगरेट और तंबाकू नहीं खाने वाले भी व्यक्तियों का भी फेफड़ा खराब नजर आता है. राजेश बताते हैं कि जितने भी यहां के लोग डैम के बगल में बसे हुए हैं वहां के लोग अपंगता का शिकार हो रहे हैं. तो कोई स्किन की समस्याओं से जूझ रहा है. किसी के बाल झड़ रहे हैं तो कोई उम्र से पहले मर जा रहा है.

हैरान करने वाली बात यह है कि जब तक लोगों को बीमारियां समझ आती हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है. भोली भाली जनता की ओर ना तो सरकार का ध्यान है और न ही इन कंपनियों का कोई होश है. इतनी बड़ी कंपनी का यहां स्ट्रक्चर है, लेकिन उसके बाद भी सीएसआर फंड न के बराबर इस्तेमाल होता है.

सिंगरौली मोरवा के कोल माइंस से जुड़ी खास जानकारी के लिए देखिए पूरा वीडियो ||