Vindhya First

Search

RTI Act 2005: यूरोप से लौटकर बने आरटीआई एक्टिविस्ट, पढ़िए रीवा के शिवानंद द्विवेदी की कहानी

RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी का जन्म रीवा जिले के कैथा गांव में हुआ है. वर्तमान में शिवानंद के परिवार में कोई नहीं है, कुछ साल पहले उनकी मां और पिता दोनों का स्वर्गवास हो गया. इन्होंने ने आज तक अपनी शादी भी नहीं की.

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) साल 2005 में लागू किया गया. इस अधिनियम के तहत, देश का कोई भी सामान्य नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से तथ्यों पर आधारित जानकारी के लिए आवेदन कर सकता है. RTI एक्ट का मूल मक़सद नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता लाना, भ्रष्टाचार को रोकना और लोकतंत्र को मजबूत बनाना है. खास बात यह है कि इस अधिनियम का इस्तेमाल करके कई लोग सरकारी कामों का ब्यौरा एकत्र करते हैं और फिर इन कागजातों के माध्यम से हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने का प्रयास करते हैं. विंध्य में रीवा जिले के रहने वाले शिवानंद द्विवेदी भी पिछले एक दशक से इस काम को बखूबी कर रहे हैं. ऐसे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि यूरोप में रह रहे शिवानंद द्विवेदी (Shivanand Dwivedi) आखिर क्यों रीवा लौट कर आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) बन गए.

बता दें कि रीवा जिले के 46 वर्षीय शिवानंद द्विवेदी ने समाज में अपनी पहचान एक आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में कायम की है. सूचना का कानून लागू होने के बाद साल 2012 में इन्होंने पहली RTI दाख़िल की. शिवानंद अभी तक एक हज़ार से अधिक RTI लगा चुके हैं. जिनका नतीजा यह रहा कि कई अमूलचूल बदलाव हुए हैं. वहीं सरकार के कामों में भी पारदर्शिता नजर आने लगी है.

अविवाहित हैं शिवानंद
RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी का जन्म रीवा जिले के कैथा गांव में हुआ है. वर्तमान में शिवानंद के परिवार में कोई नहीं है, कुछ साल पहले उनकी मां और पिता दोनों का स्वर्गवास हो गया. इन्होंने ने आज तक अपनी शादी भी नहीं की. बता दें कि हायर एजुकेशन की पढ़ाई रीवा से करने के बाद शिवानंद ने आईआईटी मुंबई से पढ़ाई की. बाद में इन्होंने रिसर्च की पढ़ाई यूरोप से की. समय बदला और यूरोप से भारत आकर शिवानंद ने अपना पूरा समय समाज सेवा में देना शुरू कर दिया. समाज सेवा को ही शिवानंद ने अपना सबसे बड़ा पेशा बना लिया. इसके लिए शिवानंद ने RTI को अपना हथियार बनाया. हालांकि शिवानंद शुरुआत में प्रोफेसर बनना चाहते थे. इसके लिए वह मैथ में रिसर्च की पढ़ाई करते थे.

क्या है RTI एक्ट
साल 2005 में लागू किया गया RTI इकलौता ऐसा कानून है, जिसे सरकार के लिए बनाया गया है. यहां सरकार को कानून का पालन करना अनिवार्य है. वहीं अन्य सभी कानून आम जनता के लिए बनाए जाते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत एक ऐसा देश है जहां दुनिया में सबसे ज़्यादा सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि हर साल लगभग 60 लाख आरटीआई लगायी जाती हैं. हालांकि सबसे ज़्यादा आरटीआई लगाने वाला समाज का निचला तबका आज भी जवाब के इंतजार में वेबस नजर आता है और सरकार के नुमाइंदे उसे कागजी कार्यवाही में उलझाए रखते हैं.

पासपोर्ट के लिए लगाई थी पहली RTI
शिवानंद द्विवेदी बताते हैं कि उन्होंने अपनी पहली आरटीआई खुद के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी लेने के लिए लगाई थी. इसके बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आवाज बनने के लिए और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए लगातार  RTI को अपना हथियार बनाए हुए हैं. बदलते समय के साथ पंचायत, पुलिस, राजस्व, कृषि विभाग में लोगों को हो रही समस्या से निजात दिलाने के लिए शिवानंद द्विवेदी RTI लगा रहे हैं.

RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की पूरी कहानी सुनने के लिए यहां क्लिक करें.