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Cryptocurrency: डोनाल्ड ट्रंप की जीत से क्रिप्टो मार्केट में भारी उछाल, बिटकॉइन में निवेश करके कमा सकते हैं लाभ

क्रिप्टो वर्चुअल करेंसी होती है, इसका कोई फिजिकल अस्तित्व नहीं होता है. यह एक कंप्यूटर एल्गोरिथम पर बनी करेंसी है जिसके कारण ये सिर्फ इंटरनेट पर मौजूद है.

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) की जीत के बाद क्रिप्टो मार्केट (Crypto Market) की ओवरऑल वैल्‍यू शिखर से ऊपर पहुंच गई है. बिटकॉइन (Bitcoin) की रिकॉर्ड-तोड़ रैली ने डिजिटल एसेट को 89000 अमेरिकी डॉलर के पार पहुंचा दिया. ब्‍लूमबर्ग की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 5 नवंबर को अमेरिकी चुनाव के बाद से बिटकॉइन करीब 32 फ़ीसदी उछल चुका है. ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि बिटकॉइन क्या है और ये काम कैसे करता है. इसके साथ ही बिटकॉइन और क्रिप्टो करेंसी के बारें में भी पूरी जानकारी इसी आर्टिकल के माध्यम से पाठकों को मिल सकेगी.

बता दें कि क्रिप्टो, वर्चुअल करेंसी होती है, इसका कोई फिजिकल अस्तित्व नहीं होता है. यह एक कंप्यूटर एल्गोरिथम पर बनी करेंसी है जिसके कारण ये सिर्फ इंटरनेट पर मौजूद है. भारतीय करेंसी रुपए को देश की RBI BANK कंट्रोल करती है. लेकिन क्रिप्टो करेंसी को कोई अथॉरिटी नियंत्रण नहीं करती है. साथ ही इस पर नोटबंदी का भी कोई असर नहीं होता हैं. दुनिया में कई क्रिप्टोक्यूरेंसी Bitcoin, RED coin, SIA coin, Ethereum, Ripple (XRP) और मोनरो हैं.

बिटकॉइन भी है क्रिप्टो करेंसी
इसी तरह बिटकॉइन भी एक क्रिप्टो करेंसी है. क्रिप्टो करेंसी की तरह ही यह भी डिजिटल करेंसी है. बिटकॉइन को किसी भी केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित नहीं किया जाता है. बिटकॉइन का इस्तेमाल ज्यादातर कंप्यूटर नेटवर्किंग साइट्स पर पेमेंट करने के लिए किया जाता है. बिटकॉइन, क्रिप्टोग्राफी के नियमों के आधार पर काम करती है. क्रिप्टोग्राफी का अर्थ होता है कोडिंग भाषा को सुलझाने की कला. बिटकॉइन को वॉलेट में सेव किया जाता हैं. इसे एक सुरक्षित ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के लिए उपयोग किया जाता है.

बिटकॉइन का इस्तेमाल
बिटकॉइन का उपयोग अलग-अलग ऑनलाइन लेन देन में किया जाता है. ये P2P नेटवर्क पर काम करता हैं. बिटकॉइन का इस्तेमाल लोग कई तरीके से करते हैं जैसे इन्वेस्टमेंट के तौर पर या फिर अल्टरनेटिव USE के लिए या फिर NGOs इसका इस्तेमाल ऑनलाइन लेनदेन के लिए करते हैं. वहीं अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और डेल जैसे कई ऑनलाइन स्टोर बिटकॉइन को भुगतान के विकल्प के रूप में स्वीकार करते हैं. शॉपिफाई और वूकॉमर्स जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म भी बिटकॉइन में पेमेंट लेते हैं. इसके अलावा रेस्तरां, कैफे, होटल और ट्रेवल एजेंसियां भी बिटकॉइन को भुगतान के रूप में स्वीकार करती हैं.

क्या लाभ का सौदा है बिटकॉइन
कुछ वित्तीय सेवाएं जैसे कि पेपैल और स्क्वेयर बिटकॉइन भी बिटकॉइन में पेमेंट करती है. इसके अलावा कई गेमिंग प्लेटफॉर्म्स हैं जो की बिटकॉइन का इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही विदेशी मुद्रा विनिमय, डिजिटल मार्केटप्लेस, क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज, व्यक्तिगत लेन-देन में भी बिटकॉइंस का इस्तेमाल होता है. जैसे आम लोग गोल्ड की चीजे खरीद कर इन्वेस्टमेंट करते हैं या फिर जमीन खरीद कर इन्वेस्टमेंट करते हैं वैसे ही कई लोग बिटकॉइन में भी इन्वेस्ट करते हैं. इन्वेस्टर को उम्मीद होती है कि बिटकॉइन की वैल्यू बढने पर उन्हें प्रॉफिट होगा.

बिटकॉइन की कीमत
बिटकॉइन की कीमत डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है. हालांकि बिटकॉइन की कोई सीमित संख्या नहीं है. यह घटती और बढ़ती रहती है. अगर लोगों की मांग बढ़ती है तो इसकी कीमत कम हो जाती है और लोगों की डिमांड अगर कम हो जाती है. तब इसकी कीमत में उछाल आ जाता है. वर्तमान में बिटकॉइन की कीमत लगभग $87,471.46 है जो की भारतीय मुद्रा में ₹7,324,716 है.

बिटकॉइन के फायदे और नुकसान
बिटकॉइन को दुनिया भर में कहीं भी और किसी को भी भेजा जा सकता है. खास बात यह है कि बैंक की तरह इसका अकाउंट ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. बिटकॉइन से लेनदेन करने में मिडिलमैन की भूमिका नहीं रहती है. हालांकि बिटकॉइन से कई नुकसान भी हैं. इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है अगर आपका डेटा हैक हो जाए और रिकवर ना हो पाए या फिर अगर आप पासवर्ड भूल जाते हैं तो आप अपने सारे बिटकॉइन गवा देते हैं. दरअसल, इस पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं होने के कारण कुछ लोग अवैध चीजें खरीदने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं. बिटकॉइन के लेनदेन में कोई भी शुल्क नहीं कटता है. इस वजह से लोग इसे पसंद भी करते हैं.

सातोशी नाकामोतो ने बनाया था बिटकॉइन
बिटकॉइन को 2008 में सातोशी नाकामोतो ने बनाया था. 2009 में सातोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में लॉन्च किया. बिटकॉइन को लाने के पीछे ये थ्योरी दी जाती है की एक ऐसी करेंसी बनाना उद्देश्य था जिसपर किसी तीसरी पार्टी का कोई कंट्रोल न हो. जैसे भारत की करेंसी रूपए में RBI BANK का कंट्रोल होता है. ठीक वैसे ही. इसे ALTERNATIVE FINANCIAL SYSTEM के तौर पर लॉन्च किया गया. इसके पीछे सातोशी का ये कांसेप्ट एक ऐसी करेंसी तैयार करना था जो फिजिकल नहीं बल्कि वर्चुअल हो. इसी कांसेप्ट के साथ मार्किट में बिटकॉइन को लॉन्च किया गया था.

क्रिप्टो मार्केट के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।