Global Plastic Treaty Explained: प्लास्टिक (Plastic) की उपयोगिता पर्यावरण (Environment) के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. प्लास्टिक अब न सिर्फ कचरे के रूप में दिखता है, बल्कि जमीन और समुद्र के जानवरों के शरीर में भी पहुंच चुका है. वैश्विक प्लास्टिक संधि, प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पहल है. इसका उद्देश्य प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और निपटान के लिए सतत समाधान ढूंढ़ना है. यह पहल इस बात को मान्यता देती है कि प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक संकट है और इसे हल करने के लिए सभी देशों, उद्योगों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है. इसका उद्देश्य प्लास्टिक उत्पादन में कमी, सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना और प्रदूषण की रोकथाम करना और वैश्विक सहयोग है. “वैश्विक प्लास्टिक संधि” का प्रस्ताव 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में रखा गया था. इसका उद्देश्य 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना है. इस संधि के लिए अंतर-सरकारी वार्ता समिति (Intergovernmental Negotiating Committee) की स्थापना की गई, जिसका काम एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता तैयार करना है.
बता दें कि एक हफ्ते की बातचीत के बाद भी, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का प्लास्टिक को खत्म करने का प्रयास असफल रहा है. इस वार्ता में लगभग 170 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. हालांकि इसके बावजूद देशों के बीच मतभेद दूर नहीं हो सके. बता दें की यह कोशिश “वैश्विक प्लास्टिक संधि” “Global Plastics Pact” के तहत हो रही थी, जो 2022 में पारित एक प्रस्ताव का हिस्सा है. इस प्रस्ताव का मकसद समुद्र और जमीन से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना था. पिछले दो सालों में देशों ने इसे लागू करने के लिए पांच बार बैठक की है. आखिरी बैठक दक्षिण कोरिया के बुसान में हुई थी. दुनिया से प्लास्टिक को खत्म करने के लिए साल 2022 का यह प्रस्ताव ऐतिहासिक माना गया. इसमें दुनिया ने माना था कि प्लास्टिक प्रदूषण को केवल एकजुट होकर ही खत्म किया जा सकता है. लगभग 170 देशों के समूह में यूरोपीय संघ और प्रशांत द्वीप-राष्ट्र प्रमुख थे. सभी देशों ने 7 दिनों तक चर्चा करके प्लास्टिक प्रदूषण को हल कैसे किया जाए पर चर्चा की लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई.
प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करना चुनौती
170 देशों के इस समूह का मानना है कि दोबारा इस्तेमाल (रिसाइकिलिंग) का विकल्प कारगर नहीं है. ऐसे में प्लास्टिक के स्रोत यानी वर्जिन पॉलीमर के उत्पादन को कम करना ही इसका एकमात्र समाधान है. वहीं दूसरी ओर, कुछ बड़े विकासशील देश और तेल पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्लास्टिक उत्पादन में कटौती से उनके व्यापार पर असर पड़ेगा. इनका मानना है कि देश में प्लास्टिक प्रदूषण को ठीक करने के लिए उत्पादन के बजाय इसके इस्तेमाल और प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए.
भारत का क्या दृष्टिकोण है
प्लास्टिक प्रदूषण पर भारत का कहना है कि वर्जिन प्लास्टिक पॉलिमर उत्पादन को सीमित करना उसके विकास के अधिकारों पर असर डाल सकता है. इसलिए भारत इसका विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि ये उपाय पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त हैं और इस वजह से उसे वर्जिन प्लास्टिक उत्पादन पर किसी सख्त नियम की जरूरत नहीं है.भारत ने भी उन देशों का समर्थन किया है जो उत्पादन में कटौती के खिलाफ है. लेकिन यह बात समझनी जरूरी है कि भारत की प्लास्टिक रिसाइकिल करने की क्षमता काफी कम है. भारत हर साल जितना प्लास्टिक इस्तेमाल करता है, उसका केवल एक तिहाई ही रिसाइकिल कर पाता है.
प्लास्टिक प्रदूषण के नियंत्रण पर भारत
1. अल्पकालिक प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध Ban on short-lived plastic products – ऐसे प्लास्टिक जो जल्दी खराब हो जाते हैं या जिनका बार-बार उपयोग नहीं होता, उन पर रोक लगाई गई है.
2. विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व Extended producer responsibility – इसके तहत प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पादों का पुनः उपयोग या पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) हो.
प्लास्टिक प्रदूषण वार्ता में मतभेद के 3 कारण
इस तरह प्लास्टिक प्रदूषण वार्ता में मतभेद के 3 कारण हैं. पहला विकसित और विकासशील देशों के दृष्टिकोण में अंतर, दूसरा प्लास्टिक उत्पादकों और पेट्रोकेमिकल उद्योग द्वारा प्लास्टिक उत्पादन में कटौती का विरोध और तीसरा रिसाइकिलिंग और सर्कुलर इकोनॉमी के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी. हालांकि इन सब के बाद सभी देशों ने अगले साल फिर से वार्ता शुरू करने का फैसला किया है. गौर करने वाली बात यह है कि प्लास्टिक का हमारी अर्थव्यवस्था में महत्व जरूर है, लेकिन लोगों और पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके बुरे असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे में भारत को भविष्य में ऐसी रणनीति बनानी चाहिए जिससे प्लास्टिक प्रदूषण पर सही तरीके से काबू पाया जा सके.
प्लास्टिक प्रदूषण पर पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।