विधानसभा चुनाव : किसान देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस लिए किसान जितना सम्पन्न और मजबूत होंगे देश भी उतनी तेजी से सम्पन्न और मजबूत बनेगा. किसान की मजबूती उसकी खेती से मिलने वाली फसल और उत्पाद पर निर्भर होती है. कोई भी फसल उगाने के लिए खाद-बीज की बेहतर उपलब्धता के साथ उपजाऊ मिट्टी,पर्याप्त सिंचाई सुविधा की जरूरत होती है.
मध्यप्रदेश में खेती करने वाले किसान इन दिनों खाद की समस्या से जूझ रहे हैं, कहने को तो शासन ने पर्याप्त खाद बीज की व्यवस्था की है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. किसान खाद लेने जब भी सहकारी समिति जाते हैं उन्हें लम्बी कतार में इंतज़ार करना होता है कई दफ़े यह इंतज़ार हफ़्ते भर या इससे अधिक का भी हो जाता है. इतने के बाद भी खाद नहीं मिल पाती तो किसान की हिम्मत टूटने लगती है. खेती में समय और मौके का भी विशेष महत्व होता है जब यह मौका किसान चूक जाते हैं तो उनकी खेती में लगने वाला खर्च निकाल पाना भी मुश्किल हो जाता है.
खेती में होने वाले घाटे की वजह से अधिकांश किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं, कुछ किसान इस कर्ज के बोझ में इतना दब जाते है कि वो आत्मघाती कदम भी उठाते हैं.
अपनापंचे कार्यक्रम में आज की चर्चा में शामिल बिंदु-:
आखिर अन्नदाता किसान सरकार की प्राथमिकता से बाहर क्यों होते जा रहे हैं ?
किसानी में आने वाली मूल समस्या क्या हैं ?
मध्यप्रदेश में खाद-बीज की समस्या के लिए जिम्मेदार कौन है ?
किसान सम्मान निधि मिलने का क्या फायदा समय में खाद बीज नहीं मिलता है ?
किसान ऋण मुक्त कैसे होंगे ?
किसान कर्ज माफ़ी की स्थिति में क्यों पहुंच जाते हैं ?
चुनावी गारंटी केवल कागजों तक ही सीमित क्यों रह जाती हैं ?
किसान सम्मान निधि मिलने के बाद भी खेती कमज़ोर क्यों हो रही है ?
सहकारी समिति में खाद-बीज के हाल बेहाल क्यों हैं ?
नहरों में समय पर पानी नहीं और सरकार से मिलने वाली खाद भी नहीं मिलेगी तो कैसे मजबूत बनेगा किसान ?
उपरोक्त सवालों के जवाब खोजता है अपनापंचे का यह एपिसोड पूरा विवरण जानने के लिए वीडियो जरूर देखें.