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विधानसभा में प्रश्न पूछने में सबसे पीछे कौन से विधायक

विधानसभा चुनाव के वक्त प्रत्याशी जनता से वादे करते हैं कि हम क्षेत्र की आवाज बनेगे लेकिन चुनाव जीतने के बाद क्या सच में ये ऐसा करते हैं? यह जानने के लिए विगत विधानसभा चुनाव के जीते उम्मीदवारों द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवालों पर नजर दौड़कर अंदाजा लगा सकते हैं. मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र से चुने गए 30 विधायकों ने विधानसभा में आवाज तो उठाई पर वह आवाज कितनी मजबूती से रखी गई यह इनके द्वारा पूछे गए सवालों के आंकड़ों की मदद से जानते हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा के बीते कार्यकाल यानी 2018 से 2023 के बीच विंध्य क्षेत्र के विधायकों ने पूरे प्रदेश में सबसे कम सवाल पूछे हैं 3232. वहीं बुंदेलखंड के विधायकों ने 3603 सवाल पूछे हैं. मालवा निमाड़ के विधायकों ने सर्वाधिक 7161 सवाल के साथ सबसे ज्यादा सवाल पूछे हैं. मध्य भारत से 5036 सवाल उठाए गए तो महाकौशल के विधायकों ने 4523 सवाल उठाए हैं.

विंध्य के विधायकों में सबसे ज्यादा तीन सौ तीस सवाल कोतमा से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीते विधायक सुनील कुमार सर्राफ ने किए थे. सबसे कम सवाल मानपुर से विधायक और मध्यप्रदेश राज्य सरकार में मंत्री रहीं मीना सिंह ने किए थे. अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इन्होंने एक भी सवाल नहीं किया. सरकार में मंत्री रहते हुए इन्होंने सवाल नहीं पूछे. केवल ऐसा नहीं है इन्होंने 18 महीने विपक्ष में रहते हुए भी सवाल नहीं किए यह आंकड़ा क्षेत्र के प्रति इनकी सजगता पर प्रश्न चिन्ह लगता है. यदि विधानसभा में विधायक सवाल भी नहीं पूछ पाते तो करते क्या हैं..

विंध्य के विधायक सवाल क्यों नहीं करते क्या यहां सबकुछ सही चल रहा है या फिर जान बूझ कर विंध्य के मुद्दे विधानसभा के पटल में नहीं रखे जा रहे हैं. आपके वोट का क्या मतलब है जब आपके विधायक ही आपकी आवाज नहीं उठा रहे.
इन्ही प्रश्नों के उत्तर खोजता है विंध्य फर्स्ट का विशेष कार्यक्रम अपनापंचे का यह एपिसोड पूरा विवरण जाने के लिए वीडियो पर क्लिक करें