शिक्षा के उजियारे से अज्ञान के अंधकार को मिटाया जा सकता है. शिक्षा समाज की उन्नति और विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है यह बातें बचपन से सुनते आए हैं. इसके बाद भी मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था चौपट है सरकार इस ओर वास्तविकता से अनजान बनी है.
मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा सीएमराइज विद्यालय के नाम पर बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है. वास्तविकता तब पता चलती है जब हम धरातल में स्कूल की बिल्डिंग, बच्चों के बैठने की व्यवस्था, और टीचर की उपलब्धता को देखते हैं.
ऐसे स्कूल भी हैं जहाँ कोई शिक्षक ही नहीं है ऐसे भी स्कूल हैं जहाँ पहली से पांचवीं तक के बच्चे एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं इसका कारण है पढ़ाने वाले टीचर ही नहीं हैं. एक कमरे में पहली से पांचवीं तक की पढाई कैसे सम्भव है यदि नहीं यह सम्भव नहीं है तो व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो रहा है.
मध्य प्रदेश राज्य शिक्षा पोर्टल में मौजूद विवरण के मुताबिक मध्यप्रदेश 2621 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. जबकी 47 जिलों के 7793 स्कूल में केवल एक शिक्षकनियुक्त हैं. मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा विंध्य क्षेत्र के स्कूल में शिक्षकों की बदहाली सबसे ज्यादा है.
विंध्य क्षेत्र के 1747 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, 554 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. यह आंकड़ा बताता है की पचास हजार शिक्षक भर्ती का दवा करने वाली सरकार ने कितने बच्चों का भविष्य अधर में लटका रखा है.
मध्यप्रदेश के अन्य क्षेत्र की हालत इन आंकड़ों से जान सकते हैं चंबल क्षेत्र के 1246 स्कूलों में 1 शिक्षक हैं तो 558 स्कूलों में कोई भी शिक्षक नहीं हैं, महाकौशल क्षेत्र के 710 स्कूल में एक शिक्षक हैं तो 140 स्कूल में कोई भी शिक्षक नहीं हैं, मध्य भारत के 1147 स्कूलों में केवल एक शिक्षक तो 363 स्कूलों में शून्य शिक्षक हैं.
मालवा निमाड़ में 1512 स्कूलों एक शिक्षक के भरोसे हैं, 471 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं हैं, बुंदेलखंड के 1431 स्कूल ऐसे हैं जहां एक शिक्षक हैं तो 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं.
इन आंकड़ों को देख विंध्य फर्स्ट की टीम ने एक रिपोर्ट बनाई साथ ही अपने विशेष कार्यक्रम अपनापंचे में शिक्षाविद ज्ञानवती अवस्थी, के.सी जैन के साथ चर्चा कर कारण जानने की कोशिस की है पूरा विवरण जानने के लिए वीडयो पर क्लिक करें.