मध्यप्रदेश में बेरोज़गारी का प्रतिशत देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि यहाँ रोजगार के अवसर कितने कम हैं. इस बेरोज़गारी से जूझ रहे युवाओं के लिए संजीवनी बूटी की तरह पटवारी भर्ती का विज्ञापन आया.
इस भर्ती में अनेक विभाग के पदों पर आवेदन आमंत्रित किये गए थे लेकिन इस पूरे परीक्षा कार्यक्रम को पटवारी भर्ती के नाम से जाना गया. आवेदक परीक्षार्थियों ने दिन रात अटूट मेहनत करते हुए तैयारी की और होनहार आवेदक सफल भी हुए.
पटवारी परीक्षा परिणाम में उस वक्त सवाल उठने लगे जब शीर्ष के 10 चयनित अभ्यर्थी में से 07 परीक्षार्थी एक ही परीक्षा केंद्र से होने की बात सामने आई. यहीं से पटवारी भर्ती में कथित घोटाले की बात जोर पकड़ने लगी.
राजनीतिक दलों में कहा सुनी होने लगी माहौल गर्म होने लगा. विधासनसभा चुनाव नज़दीक था विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरना शुरू किया, तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भर्ती प्रक्रिया में रोंक लगाते हुए कहा कि, जांच करवाकर यह भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी जाँच के लिए नियत तिथि बीतने के बाद भी अभी तक कोई उचित परिणाम सामने नही आए हैं.
इस भर्ती प्रक्रिया में गलती चाहे जिसकी हो पर नुकसान तो परीक्षार्थियों का हुआ है. इसी कारण चयनित एवं गैर चयनित सभी परीक्षार्थियों में असंतोष व्यप्त है.
इस परीक्षा में ऐसे विद्यार्थी भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने ग़रीबी और अभाव में जीवन बिताकर तैयारी करने में कोई कसर नही छोड़ी है, जब ये परीक्षा में पास हुए तो खुशी में इनके माता-पिता जब तक अपना सारा कष्ट भूलते उससे पहले ही इस तरह भर्ती में रोंक लग गई यह रोक केवल परिणाम में नहीं लगी बल्कि इनकी खुशियों में भी रोक लगी है.
अब चयनित अभ्यर्थी जल्दी से जल्दी परिणाम की मांग कर रहे हैं, इधर चुनाव की आचारसंहिता भी लग चुकी है. यहाँ सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतनी व्यवस्था के बाद भी कैसे हो जाती है गड़बड़ी, कुछ गिनती के लोगों की गलती की सजा मेहनती परीक्षार्थी क्यों भुगत रहे हैं.
विंध्य फर्स्ट का विशेष कार्यक्रम ‘अपनापंचे’ का यह एपिसोड उपरोक्त सवालों की पड़ताल करते हुए पटवारी भर्ती में पीड़ित परिवार की दास्तां को लेकर आया है. इस चर्चा में शामिल रहे पटवारी परीक्षा में चयनित छात्र नमन सिंह साथ ही तैयारी करवाने वाले प्रशिक्षक शिवदत्त शुक्ला रिपोर्टर विपिन तिवारी चर्चा देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें.