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विंध्य की अमानत में खयानत का जिम्मेदार कौन?

विधानसभा चुनाव आते हैं तो क्षेत्र में वादों की झड़ी लग जाती है. विकास कार्य करने की बात सभी जनप्रतिनिधि करते भी हैं लेकिन जब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र विकास की बात आती है तो धन राशि की कमी का हवाला माननीय विधायक जी द्वारा दिया जाता है. जबकि किसी भी विधानसभा के क्षेत्रीय विकास के लिए शासन द्वारा अनेक मद से धन खर्च की व्यवस्था की जाती है इन्ही मदों में शामिल है विधायक निधि. विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए यह निधि वर्तमान में प्रत्येक विधायक को 3 करोड़ से ज्यादा दी जाती है. क्या आप जानते हैं कि, आपके विधायक को आपके क्षेत्र में काम करने के लिए हर साल मिलने वाली विधायक निधि को वो कहां इस्तेमाल करते है. इस्तेमाल करते भी हैं या नही. क्या आपने कभी अपने विधायक जी से जानने की कोशिश की है.

विधायक को विधानसभा में विकास कार्य करने के नाम पर एक साल में 1 करोड़ 85 लाख रुपये का आवंटन किया जाता था, इस साल, यानी 2023-24 से, इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

पीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक विंध्य क्षेत्र के 30 में से 20 विधायकों ने खर्च का व्योरा ही नही दिया. जिन 10 विधायक का व्योरा है भी वह आधा-अधूरा है. यहाँ सवाल उठता है कि ऐसी विधायक निधि का क्या फायदा, जो विधायक खर्च ही ना कर पाए.आखिर ये पैसा जनता के लिए ही खर्च नहीं हो रहा है तो कहां खर्च हो रहा है. यदि यह खर्च हो रहा है तो आपके विधायक इसका हिसाब विधायक क्यों नहीं देते.

ऐसा इसलिए है क्योंकि, आप उनसे हिसाब ही नही मांगते, यदि इनसे हिसाब मांगा जाता तो वो शायद इस तरह कार्य नही करते. अपने क्षेत्र के विधायकों की काबिलियत का यह सबूत देखकर आप क्या सोचते हैं. आपका पैसा खर्च करने के लिए, क्या विधायकों के पास कोई प्लान नहीं है. या फिर ये जान बूझ कर किसी साजिश के तहत किया जा रहा है.

जब आपके विधायक ही अमानत में खयानत करने लगें तो यह विचार मन मे उठता ही है कि उन्हें अपना वोट देने से क्या फायदा, जो आपके बारे में सोच ही नहीं रहे. प्रदेश के सबसे पिछड़े, सबसे बेरोज़गार, सबसे कमजोर क्षेत्र होने की वजह क्या आपके विधायक हैं इन्ही सवालों के जवाब की खोज में विंध्य फस्ट के विशेष कार्यक्रम ‘अपनापंचे’ में चर्चा की गई है.

पूरी चर्चा देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें