विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल सीधी में लोकसंस्कृति से जुड़ी कई कलाएं सामने आई. विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में देश-विदेश की कलाकारी के साथ विंध्य की कलाकारी भी उजागर हुई. इस तीन दिनों के महोत्सव के बाद स्थानीय संस्कृति से भी लोग रूबरू हुए. जिसमें विंध्य फर्स्ट की टीम भी सीधी जिले के बकवा गांव पहुंची. वहां पर कई सारे लोकनृत्यों का अयोजन किया गया. जिसमें विंध्य क्षेत्र के लोकनृत्यों में खास जगह रखने वाला अहिराई लोकनृत्य भी किया गया.
अहिराई नृत्य एक ऐसा नृत्य है जिसको लोग बेहद खास और प्रसिद्ध लोकनृत्यों में रखा गया. अहिराई लोकनृत्य मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध नृत्य शैलियों में से एक है. मध्य प्रदेश के लोगों में इस नृत्य को लेकर काफी ज्यादा लोकप्रियता है. ऐसी मान्यता है की आहिराई लोकनृत्य भगवान कृष्ण के वंशज किया करते थे. तब से लेकर आज तक इस नृत्य को ग्वाल और अहिर समुदाय के लोग करते आ रहे हैं.
यह लोकनृत्य मुख्यतः बड़े-बड़े लोक महोत्सवों में किया जाता है. अहिराई में लोकनृत्य कलाकारों की कुछ स्पष्ट एवं तेज़ गति की रंग-बिरंगी पोशाकें एवं जोश और भाव-भंगिमाएं देखकर दर्शक को आत्मसात हो जाते हैं. इसमें पुरूष पहले गीत गाकर नगरिया बजाते हैं और फिर उसी नगरिया की धुन में महिलाएं नृत्य करती हैं.
अहिराई नृत्य करने वाले कलाकार रंग बिरंगे पोशाक पहनकर नृत्य करते हैं. इस नृत्य को जीवंत विरासत में इस प्रसिद्ध नृत्य शैली का विशेष स्थान दिया गया है. साथ ही ऐसा कहा जाता है कि मध्य प्रदेश के लोगों के बीच इसे अपार प्रेम और स्नेह हासिल हुआ है.
लोक महोत्सवों के दौरान बरेदी, अहीर, ग्वाला, राउत एवं रावत समुदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ नृत्य करते हैं. इस क्षेत्र के प्रतिभाशाली अहीर लोकनर्तकों को अभिभूत कर देते हैं. अहिराई लोकनृत्य मध्यप्रदेश के बेहद पसंदीदा लोकनृत्यों में से एक है.
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