विंध्य का सीधी जिला प्राकृतिक रूप से धनी है वहीं धार्मिक मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है. बीरबल का जन्मस्थल और घोघर माई का मंदिर यहीं स्थिति है. गंगा नदी से भी ज्यादा पवित्र मानी जाने वाली सोन नदी सीधी में है. पर्वत पहाड़, जंगल, झरने यह सब आपको देखने को मिलेगा. सोन नदी के समीप ही बढ़ौरा नाथ स्वामी का मंदिर है.
सीधी जिले में स्थित बढौरा नाथ स्वामी का मंदिर अपनी ख़ास मान्यताओं के लिए जाना जाता है. बढ़ौरा मंदिर स्वयं भू भगवान भोलेनाथ का चतुर्भुजाकार शिवलिंग है.
यह मंदिर प्राचीन है. आजादी से पहले स्वयंभू भोलेनाथ खुदाई के दौरान निकले थे. लोगों का कहना है, जब खुदाई की जा रही थी तब चतुर्भुजाकार शिवलिंग मिला. जितनी गहराई तक खुदाई की गई शिवलिंग की लंबाई बढ़ती ही चली गई. इतना ही नहीं बढ़ौरा नाथ का जलहरी के साथ शिवलिंग मिला था. शिवलिंग में माता पार्वती और त्रिशूल के निशान भी मिलते हैं. यह बाकि शिवलिंगों से काफी अगल है. माना जाता है कि दूर-दूर से लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं और भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं.
सीधी जिले में स्थित बढ़ौरानाथ एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां हर दिन भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है. हजारों की तादात में श्रद्धालू दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
बढ़ौरानाथ में भगवान शिव की पूजा के लिए भक्त दूध और जल से स्नान कराते हैं. फूल, बेलपत्र, दूव चंदन रोली से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है. मंदिर परिसर में सत्यनारायण भगवान की कथा, रामचरित मानस और सुन्दरकांड का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही कई सारे संस्कार बरहौं, मुंडन, कर्णछेदन और विवाह भी बढ़ौरानाथ मंदिर परिसर में होता है.
बढ़ौरानाथ शिव मंदिर में साल भर मेला लगा रहता है. महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी के दिन लाखों भक्त यहां पर दर्शन के लिए आते हैं. बढ़ौरानाथ शिव मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नहीं लौटता है.
बढ़ौरानाथ शिव मंदिर में हर दिन रुद्राभिषेक होता है. मान्यता है कि शिव भक्तों पर अगर किसी भी प्रकार का संकट आता है तो भक्त से पहले उसका सामना बढ़ौरानाथ स्वामी स्वयं करते हैं.