पूरा देश रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के इंतजार में बैठा है. जय श्रीराम की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है. अयोध्या और राम मंदिर में इस्तेमाल हुई हर एक चीज के बारे में जानकारी सामने आ रही है. अयोध्या के राम मंदिर का मध्यप्रदेश के रीवा जिले से है खास कनेक्शन. राम मंदिर में लगने वाले ध्वज को रीवा में तैयार किया गया है. जिसमें सूर्य और खास तरह का वृक्ष बना हुआ है.
सूर्य भगवान राम के वंश और कोविदार अयोध्या सम्राज्य की अलौकिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इस ध्वज को चित्रमय रामायण बनाने वाले इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा ने बनाया है. विंध्य फर्स्ट से ललित मिश्रा ने इस ध्वज और कोविदार वृक्ष से जुड़ी पूरी कहानी बताई है.
कोविदार वृक्ष के पुष्प में गुलाबी और नीले रंग की आभा मिली होती है. इस वृक्ष के बारे में हरिवंश पुराण में कश्यप ऋषि ने बताया है. कोविदार वृक्ष त्रेता युग में भगवान श्री राम के ध्वज की शोभा बढ़ाता था. इस वृक्ष काा निर्माण कश्यप ऋषि ने किया, उन्होंने परिजात के वृक्ष में मंदार का सार मिलाकर कोविदार बनाया था. इसे दुनिया और भारत का सबसे पहला हाईब्रीड पेड़ कहा गया है. यही वजह है कि रघुकुल ने अयोध्या में पीपल और बरगद को छोड़कर कोविदार को राज वृक्ष का दर्जा दिया था और अपने ध्वज में भी इसे जगह दी. कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी अदिति के पुत्र आदित्य से ही सूर्यवंश हुआ इसलिए शायद भगवान राम ने इस वृक्ष को अपने ध्वज में जगह दी.
वाल्मिकी ऋषि ने इसके बारे में बताया है कि इस पेड़ का तना सफेदी लिए हुए होगा. त्रेता युग में उन्होंने जो कहा उसका प्रमाण कलयुग में भी देखने को मिल रहा है. यह वृक्ष उत्तर और मध्य भारत में पाया जाता है. इस पेड़ का बोटैनिकल नाम है बहूनिया परप्यूरिया रीवा के विवेकानंद पार्क में त्रेता युग के लगभग सभी पेड़ मौजूद हैं.
ये भी पढ़ें : रामहर्षण मंदिर के लिए अयोध्या से आते हैं महंत और पुजारी
पूरा वीडियो देखने के लिए क्लिक करें