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जानिए क्या है संस्कृत बैंड, कौन हैं बच्चों को मंत्र सिखाने वाले ये कलाकार

बच्चों को मंत्रों का ज्ञान

मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र से संबंध रखने वाले सौरभ सिंह परिहार और चंबल क्षेत्र से संबंध रखने वाली प्रिया भदोरिया ने साथ मिलकर मध्य प्रदेश में संस्कृत बैंड नामक एक संस्था बनाई है.
जिसके माध्यम से बच्चों को मंत्रों का ज्ञान देते हैं और उनके सिखाए हुए बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर प्रस्तुति देते हैं.
सौरभ सिंह परिहार और प्रिया भदोरिया की अपनी एक अलग पहचान भी है यह दोनों थिएटर आर्टिस्ट हैं.
सौरभ सिंह परिहार ने निर्मल पाठक की घर वापसी और महारानी सीजन 2, वेबसीरीज में अपना किरदार निभाया है.
वहीं प्रिया भदोरिया ने आश्रम वेबसीरीज और सावधान इंडिया में अपना किरदार निभाया है.

विंध्य फर्स्ट ने इंटरव्यू में दोनों अभिनेताओं से संस्कृत बैंड, कला – संस्कृति और थिएटर अभिनय के बारे में बात की. आईए जानते हैं कुछ सवालों के जवाब.

सवाल – संस्कृत बैंड का उद्देश्य क्या है और इसकी क्या जरूरत है?

प्रिया भदोरिया – अक्सर समाज से हमें सुनने को मिलता है कि, युवाओं को अच्छे कार्य करने चाहिए, युवाओं में एक अलग जोश होता है, जो समाज को परिवार को एक नई दिशा देता है. लेकिन हमने देखा यह जोश और यह दिशा युवाओं को बचपन में दी जाती थी. लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है. और यह दुर्भाग्य है. आज के समय में मां-बाप अपने बच्चों को वह संस्कार नहीं दे पा रहे हैं, जो भारत में उन्हें देना चाहिए. दूसरा कारण यह है कि, डिजिटल मीडिया के इतने माध्यम आ गए हैं, जिसकी वजह से बच्चे सारा दिन इन्हीं कामों में व्यस्त रहते हैं. काम की बात यह है की मां-बाप भी ध्यान नहीं दे पाते हैं. इन्हीं चीजों को ध्यान में रखते हुए संस्कृत बैंड को शुरू किया गया जिससे बच्चों को एक दिशा दी जा सके, एक ज्ञानवान इंसान बनाया जा सके.

सवाल – जब आप दोनों ने संस्कृत बैंड की शुरुआत की तब किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा?

सौरभ सिंह परिहार – संस्कृत बैंड के शुरुआती दौर में हमें बच्चे इकट्ठा करने में बहुत परिश्रम करना पड़ा. तब हमने सोचा क्यों ना हम अपने ही घर, परिवार और रिश्तेदार के बच्चे मांग कर ले जाएं और उन्हें सिखाएं. ऐसे में हमने एक योजना बनाई और अपने घर परिवार के बच्चों को लेकर गए. समस्या यह भी थी कि हमें उन्हें एक बेहतर स्थान देने की जरूरत थी. सबसे पहले हम उन्हें मंदिर लेकर जाते थे और वहीं मंत्रों का उच्चारण सिखाते थे उसके बाद मंदिर जाने की प्रवृत्ति भी बच्चों के अंदर आई और धीरे-धीरे लोग हमसे जुड़ते चले गए.

सवाल – सौरभ सिंह आप विंध्य के नागौद से हैं, तो अपने बचपन को अब कैसे याद करते हैं?

सौरभ सिंह परिहार – मैं बचपन में नागौद में ही रहा हूं, आज भी मैं अपने बचपन की तस्वीर देख अपना बचपन याद करता हूं. नानी के घर जाया करता था छोटे भाई बहनों के साथ पूरा गांव घूम-घूम कर टोरैली का किया करता था. इसी तरह की कई यादें हैं.

पूजा इंटरव्यू देखने के लिए देखिए पूरा वीडियो