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बांधवगढ़ विधानसभा: आदिवासी बाहुल्य सीट बीजेपी का गढ़

मध्यप्रदेश की बांधवगढ़ विधानसभा सीट उमरिया जिला मुख्यालय से लगी हुई है. यह विधानसभा आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा है. शेर की दहाड़ से गूंजता बांधवगढ़ क्षेत्र अब तक बीजेपी के लिए सहयोगी रहा है. यहां पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सफल रहे हैं.

बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र पहले उमरिया विधानसभा के नाम से भी जाना जाता रहा है. 2003 के बाद से बांधवगढ़ में लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है. 2008, 2013 में ज्ञान सिंह तो 2018 में इनके बेटे शिवनारायण सिंह ने जीत दर्ज की है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यह सीट इसी वर्ग के लिए आरक्षित भी है. बांधवगढ़ विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का असर भी देखने को मिलता है.

2003 से 2018 के विधानसभा चुनाव पर एक नज़र

  • विधानसभा वर्ष 2018 में बांधवगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शिवनारायण सिंह को 59158 वोट मिले यानी लगभग 37%. इनके नजदीकी उम्मीदवार रहे कांग्रेस के डॉक्टर ध्यान सिंह परस्ते को 55255 वोट मिले यानी लगभग 34%.  तीसरे नम्बर पर निर्दलीय सती लाल बैग रहे.  इन्हें 18663 वोट मिले यानी लगभग 12%. इस चुनाव में जीत का अंतर 3903 वोट का था. इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच निर्दलीय प्रत्याशी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बहुजन समाज पार्टी  ने संघर्ष को नज़दीकी बनाया था.
  • विधानसभा वर्ष 2013 में बांधवगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी ज्ञान सिंह को 66881 वोट मिले यानी लगभग 48%. इनके नजदीकी उम्मीदवार रहे कांग्रेस के प्यारेलाल बैगा. इन्हें 48336 वोट मिले यानी लगभग  35%.  इस चुनाव में जीत का अंतर 18645  वोट का था.
  • विधानसभा वर्ष 2008 में बांधवगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी ज्ञान सिंह को 43743 वोट मिले यानी लगभग 41%. इनकी नजदीकी उम्मीदवार रहीं कांग्रेस की सावित्री धुर्वे को  28440 वोट मिले यानी लगभग 27%. इस चुनाव में जीत का अंतर 15303  वोट का था.
  • विधानसभा वर्ष 2003 में बांधवगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पलता लिखीराम कांवरे को 25934 वोट मिले यानी लगभग 28%. इनकी नजदीकी उम्मीदवार रहीं बीजेपी की लता. इन्हें 18275 वोट मिले यानी लगभग 20%. इस चुनाव में जीत का अंतर 7659 वोट का था.