शिक्षा (Education), सभी का मौलिक अधिकार है. यह छह से चौहद वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान देता है. लेकिन जब यही बच्चे शिक्षा जैसे अपने मूल अधिकार से वंचित हो जाएंगे तो देश के भविष्य का क्या होगा. दरअसल, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मैहर ज़िला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर अमरपाटन तहसील के ग्राम पंचायत परसवाही में एक सरकारी स्कूल (Government school) है. यह स्कूल लगभग 70 साल पहले आजादी के समय से संचालित है. इतने सालों में इस स्कूल से हजारों की संख्या में स्टूडेंट पास होकर निकल चुके हैं लेकिन आज भी ये स्कूल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. यहां पढ़ने वाले 76 बच्चों का भविष्य अधर में लटक रहा है.
बता दें कि परसवाही पूर्व माध्यमिक विद्यालय मध्य प्रदेश शासन की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. इस स्कूल में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के नाम दर्ज हैं. लेकिन इन बच्चों के पढ़ने के लिए सिर्फ एक कमरा है. यह कमरा भी काफी जर्जर अवस्था में है. बारिश के दिनों में इस कमरे की छत टपकती है. इस स्कूल के यह हालात तब हैं जब केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा हर साल शिक्षा व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए करोड़ों का फंड जारी किया जाता है.
जनप्रतिनिधि कर रहे अनदेखी
मध्य प्रदेश के मैहर का यह इलाका पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक का दौर देख चुका है लेकिन इस स्कूल के हालात जस के तस बने हुए हैं. कभी भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर नहीं गया. हालांकि ऐसा नहीं है कि इस स्कूल के निर्माण कार्य के लिए कागजी कार्यवाही नहीं हुई. दरअसल, स्कूल के लिए कई बार बजट जारी हुआ लेकिन सिर्फ कागजी कार्यवाही हुई.
5 शिक्षकों के भरोसे है 8वीं तक का स्कूल
आठवीं तक की इस स्कूल में महज पांच शिक्षक हैं. इन शिक्षकों के भरोसे कुल 76 बच्चे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन के नाम पर सिर्फ चावल और दाल परोसा जा रहा है. जबकि सरकार के द्वारा मध्याह्न भोजन के लिए अलग से बजट जारी करती है. इसके बाद भी पोषण आहार से भरपूर आहार नहीं परोसा जा रहा है.
विंध्य क्षेत्र के छात्रों के साथ हो रहे रहे सौतेले व्यवहार को जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।