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RTI Act 2005: आम नागरिकों के लिए ज़रूरी है सूचना का अधिकार, जानें 19 साल में क्या कुछ बदला

12 अक्टूबर 2024 को सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू हुए 19 साल पूरे हो गए.

RTI Act 2005 आम नागरिकों के लिए 19 साल पहले लागू किया गया था.  इसे सूचना का अधिकार अधिनियम यानी right to information act के नाम से जानते हैं.  यही एक मात्र ऐसा कानून था जो व्यक्तिगत नागरिक की संप्रभुता को मान्यता देता था. लागू होने के बाद इस एक्ट ने देश के नागरिकों में काफी उत्साह पैदा किया था. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत के लोगों के लिए यह ऐसा हथियार बना जिसके जरिए वह सरकारी कार्यालयों से सरलता पूर्वक कोई भी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो गए. इस कानून ने देश के नागरिकों को एक ऐसा अधिकार दिया जिसने सरकार से जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित किया. भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम पहले सिर्फ जन प्रतिनिधियों तक ही सीमित था लेकिन 2005 से इसे आम नागरिकों के लिए भी लागू कर दिया गया.

बता दें कि इसी महीने 12 अक्टूबर 2024 को सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू हुए 19 साल पूरे हो गए. सूचना का अधिकार कानून को यू.पी.ए. यानी United Progressive Alliance की सरकार ने पारित किया था. यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया था. संविधान में सूचना के अधिकार को धारा 19 (1) के तहत मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. इस कानून को लागू करने के पीछे कई मकसद थे, जैसे- भ्रष्टाचार को रोकना, सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना, नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के कामकाज के बारे में नागरिकों को जागरूक करना, सरकार को जनता के प्रति ज़्यादा जवाबदेह बनाना, नागरिकों को सरकार की गतिविधियों पर नज़र रखने में सक्षम बनाना, सरकार के सुचारू संचालन और बिना भ्रष्टाचार के काम करने को सुनिश्चित करना, युवाओं और नागरिकों को उनके अधिकारों और शक्तियों के बारे में जानकारी देना शामिल है.

RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए. इस कानून के तहत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है. RTI लगाकर किसी भी इलाके में विकास के कामों के लिए कितने पैसे खर्च हुए और कहां खर्च हुए,  इलाके की राशन की दुकान में कब और कितना राशन आया, स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल में कितने पैसे खर्च हुए हैं जैसे सवाल पूछे जा सकते हैं.

सूचना का अधिकार क्यों जरूरी है
देश का हर नागरिक सरकार को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से टैक्स देता है. ऐसे में देश के नागरिकों को ये जानने का अधिकार है की सरकार उनके पैसो का कैसे और कहां इस्तेमाल करती है. देश के नागरिकों को यह जानने का हक़ है की सरकार किस क्षेत्र में क्या कम कर रही है. नागरिकों और सरकार के बीच पारदर्शिता बनी रहे और भ्रष्टाचार कम हो सके इसलिए इस कानून को लागू किया गया.

RTI से हमें कैसी जानकारी मिल सकती है
RTI लगाकर सरकारी विभागों से खास जानकारी ले सकते हैं. हालांकि सरकार की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी, गोपनीय जानकारी, या किसी व्यक्ति की सैलरी, फ़ाइल नोटिंग जैसी जानकारी नहीं ले सकते हैं. ऐसी जानकारी जो भारत की सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित कर सकती है ऐसी जानकारी हम नहीं ले सकते. जबकि किसी क्षेत्र में हो रहे विकास कार्य की लागत से लेकर उसमें लगने वाले मटेरियल तक की जानकारी ली जा सकती है.

RTI Act की खास बातें

  • यह अधिनियम सिर्फ़ भारत के नागरिकों के लिए है.
  • इसके तहत, सरकारी दफ़्तरों, विभागों, मंत्रालयों और सरकारी संगठनों से जानकारी हासिल की जा सकती है.
  • आरटीआई के तहत जानकारी पाने के लिए, आपको लिखित या ऑनलाइन तरीके से अनुरोध करना होता है.
  • आरटीआई के तहत जानकारी पाने के लिए, केंद्र सरकार के विभागों में 10 रुपये का शुल्क देना होता है.
  • राज्य सरकार से जुड़ी जानकारी पाने के लिए, बैंकर्स चेक, ड्राफ़्ट, पोस्टल ऑर्डर, या नगद भुगतान करना होता है.
  • आरटीआई के तहत जानकारी पाने के लिए, ऑनलाइन पोर्टल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

RTI Act में संशोधन
साल 2019 में सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव लाया गया था. जिसके बाद 25 जुलाई, 2019 को पारित संशोधन में केंद्र और राज्यों के सूचना आयुक्तों और सीआईसी यानी केंद्रीय सूचना आयोग की सेवा की शर्तों में बदलाव किया गया. इस संशोधन में सरकार को सूचना आयुक्तों की सेवा की अवधि और वेतन तय करने का अधिकार दिया गया..इस संशोधन के बाद केंद्र सरकार अब आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 13 में संशोधन करके केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल निर्धारित करेगी, जो पहले पांच साल तय किया गया था. इतना ही नहीं केंद्र सरकार अब केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के वेतन और भत्ते निर्धारित करेगी. हालांकि पहले मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के बराबर थे. मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ राज्य स्तरीय सूचना आयुक्तों को भी धारा 16 में शामिल किया गया है. हालांकि इस संशोधन को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी. लोगों का कहना था कि इससे सूचना आयोगों की आज़ादी कम हो जाएगी. इस संशोधन के बारे में भारत के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने भी सरकार से इसे वापस लेने की अपील की थी. इसके साथ ही यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और लोकपाल आंदोलन के अगुवा अन्ना हज़ारे ने भी इस संशोधन पर आपत्ति जताई थी.

कैसे लगा सकते हैं RTI
RTI फाइल करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीका अपना सकते हैं. ऑनलाइन आरटीआई फ़ाइल करने के लिए, सबसे पहले www.rtionline.gov.in पर जाना होगा. निर्देशों को पढ़ने के बाद स्क्रीन पर लिखे CLICK HERE FOR SUBMIT REQUEST पर क्लीक करें. कंप्यूटर की स्क्रीन पर एक फॉर्म खुलेगा जिसमे आपन ईमेल आईडी और फ़ोन नंबर डालकर रजिस्टर करें. इसके अलावा अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ‘File RTI’ पर क्लिक करके आवेदन कर सकते हैं. आवेदन के साथ, 10 रुपये का शुल्क देना होता है. यह शुल्क नकद, मनी ऑर्डर, बैंक ड्राफ़्ट, या स्टैम्प के ज़रिए दिया जा सकता है. खास बात यह है कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के आवेदकों को शुल्क नहीं देना होता. हालांकि, आवेदन के साथ BPL होने का प्रमाण साथ रखना अनिवार्य है.

सूचना के अधिकार एक्ट की पूरी जानकारी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।