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कैसे संभव होगी मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में एग्रीकल्चर की पढ़ाई, स्टूडेंट्स को होगा लाभ!

युवा कृषि क्षेत्र में करियर बना रहे हैं.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 6 मार्च 2024 को एक दिवसीय प्रवास के लिए भिंड पहुंचे. यहां उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाओं का ऐलान और शिलान्यास किया. इसी बीच सीएम मोहन यादव ने भिंड में नए कॉलेज (Collage) खोलने की बात कही, उन्होंने यह भी कहा कि अब मध्यप्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों (universities) में कृषि की पढ़ाई कराई जाएगी. इसका फायदा उन तमाम स्टूडेट्स (students) को मिलेगा जो एग्रीकल्चर (agriculture) की पढ़ाई करना चाहते हैं. उनको पढ़ने के लिए अब दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा.

देश में कितने कृषि विश्वविद्यालय हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में कई कृषि विश्वविद्यालय (agriculture university) हैं, जो कृषि की पढाई करवाते है. लेकिन जनवरी 2021 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) ने तीन केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, चार डीम्ड विश्वविद्यालयों और 63 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को ही मान्यता दी है.

यूपी में हैं सबसे अधिक कृषि विश्वविद्यालय
भारत देश में सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज उत्तरप्रदेश में हैं. यूपी में कुल 7 कृषि विश्विद्यालय हैं. लेकिन इसी देश में कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहां एक भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी नहीं आज तक नहीं हैं. इन राज्यों में अरुणांचल प्रदेश, गोवा,  मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल हैं. इतना ही नहीं दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में कोई कृषि विश्वविद्यालय नहीं है.

एमपी में कृषि विश्वविद्यालय की स्थिति
मध्यप्रदेश की लगभग 60 ऐसी संस्थाएं हैं जो एग्रीकल्चर की पढाई करवाते हैं. लेकिन अगर बात करें मध्यप्रदेश में एग्रीकल्चर के लिए टॉप यूनिवर्सिटीज की तो, उनमें LNCT यूनिवर्सिटी भोपाल, रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी भोपाल, सेज यूनिवर्सिटी इंदौर,  सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी,  रेनेसां यूनिवर्सिटी इंदौर आदि शामिल हैं.

देश में कृषि विश्विद्यालयों की जरुरत क्यों है?
कृषि यूनिवर्सिटी या कॉलेज किसानों और कृषि पेशेवरों को खेती की सभी पहलुओं की गहरी समझ प्रदान करते हैं. इसका उद्देश्य किसानों को कृषि से संबंधित नवीनतम तकनीकों और अनुसंधान के साथ अपडेट करना है, ताकि वे अपनी फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार कर सकें. आज देश में कई ऐसे स्टूडेंट्स है जिनका रुझान एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में है और वो कृषि में नयी-नयी तकनीकों और उससे संबंधित पहलुओं को जानना चाहते है. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय उन्हें कृषि के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हैं.

कृषि विश्वविद्यालय खोलने के लिए कितनी जमीन
2 नवम्बर 2023 को (UGC AICTE) यानी All India Council for Technical Education और कर्नाटक राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम द्वारा कुछ मापदंड निर्धारित किए गए. जिसमें बताया गया है कि किसी भी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए कम से कम 100-200 एकड़ भूमि होना चाहिए. हालांकि ये तो एक पैमाना है इससे कम क्षेत्र में भी कृषि विश्वविद्यालय का निर्माण हो सकता है.

कृषि कॉलेज शुरू करने के लिए जरूरी चीजें
कॉलेज में सभी विभाग से संबंधित कक्ष, प्रयोगशालाएं और कृषि भंडार, उपकरण और ट्रैक्टर शेड सहित थ्रेशिंग यार्ड सहित छात्रों को विभिन्न प्रकार के बीजों और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के लिए खेत, लैब स्टोर, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस और नर्सरी के लिए करीबन आधे एकड़ का स्पेस जरूर होनी चाहिए. आधुनिक कक्षाएं (advance classes) भी होना बहुत जरुरी है. क्लास में स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर और एचडी टीवी स्क्रीन होनी चाहिए जिससे शिक्षण सामग्री को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके. किसी भी संस्थान में लाइब्रेरी का होना भी बहुत जरुरी है. लाइब्रेरी में कृषि विज्ञान, पौधों की प्रजातियां, मृदा विज्ञान, कीट विज्ञान और आधुनिक कृषि तकनीकों से संबंधित पुस्तकें और जर्नल्स उपलब्ध होने चाहिए. इसके अलावा कॉम्प्यूटर लैब जिसमे डेटा, रिसर्च और डिजिटल शिक्षा के लिए आधुनिक कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर होना चाहिए.

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