सूरज की किरणें कार्सिनोजेनिक होती हैं. इनमें ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर पैदा कर सकते हैं. दुनियाभर में मेलेनोमा स्किन कैंसर के 80% मामले सनबर्न यानी धूप में झुलसने की वजह से होते हैं. हर साल लगभग 15 लाख नए स्किन कैंसर के मामले दर्ज किए जाते हैं, और 2040 तक यह संख्या 50% बढ़ने की आशंका है.
सनस्क्रीन हमारी त्वचा को UV किरणों से बचाने के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाती है. लेकिन जरूरी है कि इसे सही तरीके से लगाया जाए। कई लोग इसे कम मात्रा में लगाते हैं, जिससे त्वचा पूरी तरह सुरक्षित नहीं रहती.
सनस्क्रीन कैसे काम करती है?
सनस्क्रीन लगाने से UV किरणें त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं. इसे बाहर जाने से 20-30 मिनट पहले लगाना चाहिए और हर 2 घंटे में दोबारा लगाना जरूरी होता है.
SPF क्या है और कौन सा बेहतर है?
SPF का मतलब है ‘सन प्रोटेक्शन फैक्टर’. यह बताता है कि सनस्क्रीन आपकी त्वचा को UVB किरणों से कितनी देर तक बचा सकती है. UVA सुरक्षा के लिए ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन का उपयोग करें. सनस्क्रीन की भी एक्सपायरी होती है. आमतौर पर इसे खोलने के बाद 3 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन अगर इसकी रंगत या गाढ़ापन बदल जाए तो इसका उपयोग नहीं करना चाहिए.
शीशे से छनकर आने वाली रोशनी से क्या नुकसान हो सकता है?
अगर आप घर या गाड़ी के अंदर हैं, तो भी UVA किरणें आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए, इनडोर भी सनस्क्रीन लगाना जरूरी है.
क्या सनस्क्रीन विटामिन D बनने से रोकती है?
सनस्क्रीन लगाने से विटामिन D के उत्पादन में हल्की कमी आ सकती है, लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. हल्की धूप से भी शरीर को पर्याप्त विटामिन D मिल जाता है.
कौन-सी सनस्क्रीन सबसे अच्छी है?
- SPF 30 या उससे अधिक वाली सनस्क्रीन चुनें.
- ‘ब्रॉड स्पेक्ट्रम’ लिखा होना चाहिए ताकि UVA और UVB दोनों से सुरक्षा मिले.
- UVA स्टार रेटिंग देखें – 5 स्टार वाली सनस्क्रीन सबसे अच्छी मानी जाती है.
सनस्क्रीन कोई लग्जरी प्रोडक्ट नहीं, बल्कि हमारी त्वचा को बचाने के लिए बेहद जरूरी चीज़ है. इसे रोजाना लगाना चाहिए, खासकर अप्रैल से सितंबर तक जब सूरज की किरणें सबसे ज्यादा तेज होती हैं. सही सनस्क्रीन चुनें, सही मात्रा में लगाएं और खुद को स्किन कैंसर के खतरे से बचाएं.