Vindhya First

प्लास्टिक बैग: एक मूक हत्यारा जो पृथ्वी को निगल रहा है

प्लास्टिक बैग: एक मूक हत्यारा जो पृथ्वी को निगल रहा है

प्लास्टिक बैग: एक मूक हत्यारा जो पृथ्वी को निगल रहा है

प्लास्टिक बैग: हर वर्ष विश्व भर में लगभग 1 ट्रिलियन प्लास्टिक बैग्स का उपयोग किया जाता है. ये पतले, हल्के और “सुविधाजनक” दिखने वाले थैले अब धीरे-धीरे हमारे पर्यावरण को जहर दे रहे हैं. यह केवल कचरा नहीं बल्कि एक वैश्विक संकट बन चुका है.

1. प्लास्टिक बैग्स कभी समाप्त नहीं होते

प्लास्टिक बैग्स को पूरी तरह से विघटित होने में 400 से 1000 वर्ष लगते हैं. ये धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक में परिवर्तित होकर मिट्टी, जल स्रोतों और हमारे भोजन में प्रवेश कर जाते हैं. प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक समुद्री जीव प्लास्टिक के कारण मारे जाते हैं – कुछ इसे खाने से तो कुछ इसमें फंसकर.

2. विष हमारे रक्त तक पहुँच चुका है

नवीनतम शोधों के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक अब मानव रक्त, फेफड़ों और यहाँ तक कि गर्भनाल में भी पाया गया है. यह कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और प्रजनन संबंधी विकारों को जन्म दे सकता है. हमारे पीने के पानी और साँस लेने वाली हवा में भी प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौजूद हैं.

3. बाढ़ और जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण

प्लास्टिक बैग्स नालियों और सीवर सिस्टम को अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे शहरों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है (जैसा कि मुंबई और बांग्लादेश में नियमित रूप से देखने को मिलता है). साथ ही, प्लास्टिक के निर्माण और जलने की प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जो जलवायु परिवर्तन को तेज करता है.

4. विकसित देशों का कचरा बना विकासशील देशों का अभिशाप

अमेरिका और यूरोप जैसे धनी देश अपने प्लास्टिक कचरे को एशिया और अफ्रीका के गरीब देशों में निर्यात कर देते हैं. यहाँ इस कचरे को जलाया जाता है जिससे विषैली हवा फैलती है और स्थानीय लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाता है. इंडोनेशिया, फिलीपींस और भारत के कई शहर अब प्लास्टिक कचरे के बड़े केंद्र बन चुके हैं.

प्लास्टिक बैग: एक मूक हत्यारा जो पृथ्वी को निगल रहा है
प्लास्टिक बैग: एक मूक हत्यारा जो पृथ्वी को निगल रहा है

संभावित समाधान क्या हैं?

  • पुन:प्रयोज्य थैलों (कपड़े/जूट/पेपर के) का उपयोग करें.
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की माँग करें.
  • सरकार और उद्योगों पर दबाव डालें कि वे जैव-अपघट्य विकल्पों को प्रोत्साहित करें.
  • प्लास्टिक मुक्त समुदाय बनाने की पहल करें.

यदि हम आज नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को प्लास्टिक के विषैले प्रभावों के साथ जीना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश की बदहाल सड़कें: वादे और हकीकत