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मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर 47 हजार रुपए का कर्ज फिर भी घोषणाओं के लिए सरकार ने ले लिया कर्ज

मध्यप्रदेश में 2023 के चुनाव को जीतने के लिए पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. आचार संहिता लगने तक जनता को लुभाने के लिए हर दिन घोषणाएं करने का सिलसिला भी जारी रहा. प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 14 हजार प्रोजेक्ट्स के शिलान्यास और भूमिपूजन कर चुके हैं. हालांकि इनमें से कई प्रोजेक्ट कब तक पूरे होंगे इस बारे में नहीं बताया गया. इन प्रोजेक्ट में सरकार जो पैसा लगा रही है और जितना सरकार ने कर्ज लिया है उसका गणित समझ लीजिए. 

इस साल यानी 2023-24 के दौरान मध्यप्रदेश सरकार ने 55 हजार सात सौ आठ करोड़ रुपए का कर्ज लिया. ये पिछले साल की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है. जब बजट घाटा बढ़ जाता है तो राज्य कर्ज लेने को मजबूर होते हैं. ऐसे में उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा ब्याज लौटाने में जाता है.मध्यप्रदेश पर अपनी कुल जीडीपी का 29 प्रतिशत कर्ज है यानी करीब एक तिहाई.

मध्यप्रदेश सरकार पर कितना कर्ज?
राज्य सरकार पर जो इतना कर्ज है वो राज्य की जनता ही चुकाएगी. एक साल यानी 2022-23 में मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर 47 हजार रुपए का कर्ज था.इसके बढ़ने की दर हर पांच साल में दोगुनी है यानी जब आप 2028-29 में होंगे तब आपके ऊपर तकरीबन एक लाख रुपए का ऐसा कर्ज होगा जो आपने कभी लिया ही नहीं.

मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर कितना कर्ज?
2017-18 में मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर 21 हजार रुपए का कर्ज था. 2018-19 में मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर यह कर्ज बढ़कर 25 हजार रुपए हो गया. अगले साल यानी 2019-20 में कर्ज बढ़कर 29 हजार रुपए हो गया. यही कर्ज 2020-21 में सात हजार रुपए और बढ़कर 36 हजार रुपए सालाना हो गया. 2021-22 में यह बढ़कर 41 हजार रुपए हो गया. पिछले साल यानी 2022-23 में मध्यप्रदेश के हर नागरिक पर 47 हजार रुपए का कर्ज था.

अब जान लीजिए कि ये कर्ज कैसे चुकाया जाएगा
यह सारा कर्ज सरकार आपसे अलग-अलग तरह के टैक्स लगाकर वसूलती है. दूसरे प्रदेशों के मुकाबले मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल के महंगे होने की वजह भी यही है. महंगे ईंधन का सीधा असर आप तक पहुंचने वाले हर सामान की कीमत पर पड़ता है. चाहे वह सब्जियां हों या फिर अनाज, दवा हो या फिर कोई और जरूरी वस्तु.