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पटवारी भर्ती घोटाला: नियुक्ति के इंतजार में डिप्रेशन में जा रहे युवा

मध्यप्रदेश के सीधी जिले

इंटरनेट पर पटवारी परीक्षा की थर्ड टॉपर का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. पूनम ने दिल्ली को मध्यप्रदेश की राजधानी बता दिया. थर्ड टॉपर रही पूनम ये भी नहीं बता पाई कि मध्यप्रदेश में कितने जिले हैं. इससे साफ हो जाता है कि पटवारी परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी हुई है. 

मध्य प्रदेश में पटवारी चयन परीक्षा को लेकर बवाल मचा हुआ है. एक तरफ जहां परीक्षार्थी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी पर हमलावर हो गई है. कांग्रेस के आरोपों के बाद सीएम शिवराज ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी है. पूनम जैसे अयोग्य उम्मीदवारों की वजह से हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है. 

चयनित अभ्यर्थी पटवारी रीवा के दीपक नामदेव ने बताया कि दस महीने से नियुक्ति का बाट जोह रहे हैं. मगर आज तक नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई. इसकी वजह से लोगों की  मानसिक स्थिति बिगड़ रही है.  दीपक ने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि बड़ागांव में पिता दर्जी का काम करते हैं. दिन के सोलह-सोलह घंटे लोगों के कपड़े सिलकर किसी तरह परिवार का पेट पालते हैं. पटवारी बनने की खुशी उन्हें भी बहुत थी,  मगर अब वे निराश होने लगे हैं. 

दीपक ने सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. बाद में रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में फर्स्ट क्लास डिग्री हासिल की. कड़ी मेहनत के बाद पटवारी परीक्षा भी पास कर ली लेकिन नौकरी फिर भी नहीं मिली.

दीपक की ही तरह मध्यप्रदेश के 13 लाख  बेरोजगारों ने पटवारी भर्ती के फॉर्म भरे थे. इनमें से केवल छह हजार सात सौ पचपन का चयन हुआ. मध्यप्रदेश में यह भर्ती पांच साल बाद निकली थी. लेकिन अब सभी चयनित पटवारियों का भविष्य अधर में लटक गया है.

मध्यप्रदेश में बेराजगारी दर 7.1 प्रतिशत है. इनमें से विंध्य में बेरोजगारी दर 9.3% यानी सबसे ज्यादा है. यहां काम करने लायक हर दसवां नौजवान बेरोजगार है. काम न मिलने की वजह से युवाओं में डिप्रेशन की बिमारी भी बढ़ने लगी है. 

मध्यप्रदेश का यह पहला भर्ती घोटाला नहीं है. इससे पहले जेल प्रहरी, व्यापम जैसे बड़े मामले सामने आ चुके हैं. इन पर खूब राजनीति भी हुई, सरकार को केवल चुनाव के समय ही युवाओं की याद आती है.