विधायक निधि यानी विधायकों को मिलने वाला वो फंड जो उन्हें अपने विधानसभा में विकास करने के लिए दिया जाता है. यानी इस पैसे से आपके विकास से जुड़ी तमाम ज़रूरतें विधायक पूरी कर सकता है. लेकिन विंध्य इस मामले में भी सौतेला ही है. यहां के विधायक इस फंड को कैसे और कितना खर्च कर रहे हैं इसका हिसाब देने में भी काफ़ी पीछे हैं. अब तक मध्यप्रदेश के विधायक को हर साल 1 करोड़ 85 लाख रुपये मिलते थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दिया गया है.
विंध्य की 30 में से 20 विधानसभा सीटों पर आपके विधायक ने इस फंड में से कितना खर्च किया इसका डाटा जारी नहीं किया गया. विंध्य फ़र्स्ट की टीम को पीआरएस की रिपोर्ट में नहीं मिला. 10 सीटों पर विधायकों ने किस काम के लिए पैसा खर्च किया इसका डाटा भी पीआरएस की रिपोर्ट में नहीं मिला.
रीवा में 6 विधानसभा सीट लेकिन विधायक निधि केवल एक सीट पर खर्च
विंध्य क्षेत्र की राजधानी कहे जाने वाले रीवा जिले की 6 विधानसभा सीट में केवल त्यौंथर विधानसभा में खर्च का ब्यौरा मिला है. यहां 2021-22 के दौरान हुए आठ कामों पर एक लाख सैंतालीस हजार रुपए ही खर्च हुए.
सतना की तीन सीटों पर खर्च हुए केवल 75.62 लाख रुपये
साल 2021-2011 के दौरान जिले की तीन सीटों यानी रैगांव, मैहर और अमरपाटन सीट में कुल 75.62 लाख खर्च हुए हैं. हालांकि मैहर को अब अलग जिला बना दिया गया है. 2018 से 2020 तक यहां विधायक निधि से कितना खर्च हुआ इसका कोई डाटा नहीं मिला है.
शहडोल विधानसभा सीट में खर्च कितना हुआ इसका डाटा नहीं
शहडोल की ब्यौहारी विधानसभा में 2018-19 के दौरान केवल एक काम हुआ है, वहीं 2021-22 में 29 काम तो हुए. हालांकि इस काम में कितने पैसे खर्च हुआ और काम क्या थे इसका कोई डाटा सरकार ने जारी नहीं किया है.
अनूपपुर जिले में विधायक निधि से छह करोड़ खर्च हुए
अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा में पांच साल के दौरान एक सौ ग्यारह विकास कार्य हुए. कोतमा में एक सौ सत्ताइस और अनूपपुर में 49 काम हुए. इन सबको मिलाकर जिले में विधायक निधि से, छह करोड़ दस लाख उनसठ हजार रुपए खर्च किए गए.
उमरिया जिले में 6 करोड़ रुपये खर्च हुए
उमरिया जिला की बांधवगढ़ और मानपुर विधानसभा में विधायक निधि से 2021–22 में, तीन करोड़ तीन लाख तेइस हजार रुपए खर्च हुए. जबकि 2022–23 दोनों विधानसभा क्षेत्र मिलाकर यहां विधायक निधि से तीन करोड़ इक्तीस लाख बत्तीस हजार रुपए के काम हुए.