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विंध्य के विधायक विधानसभा में आपके मुद्दे उठाने में पीछे क्यों रह गए?

विधानसभा की कार्यवाही हर साल तीन सत्रों में पूर्ण की जाती है. विधानसभा सत्र में विधायक अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को लेकर, अपने क्षेत्र में हो रहे कामों को लेकर सरकार के सामने आवाज उठाते हैं और मांग करते हैं. जनता अपना कीमती वोट देकर जिन्हे विधायक बनाती है, अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधि चुनती है, वो विधायक विधानसभा सत्र में जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाते हैं. लेकिन विंध्य इस मामले में भी पीछे है.

पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च संस्था भारत में सांसदों और विधायकों के काम काज पर शोध करती है. उसकी साइट पर मौजूद डेटा के हिसाब से देखें तो विंध्य के विधायक विधानसभा में सवाल पूछने के मामले में सबसे पीछे हैं. विंध्य के पिछड़े होने की एक वजह ये भी है कि यहां के विधायक विधानसभा में विंध्य के मुद्दे ही नहीं उठाते हैं.

विधानसभा में सवाल पूछने में विंध्य सबसे पीछे
मध्यप्रदेश विधानसभा के चालू कार्यकाल यानी 2018 से 2023 के बीच विंध्य के विधायकों ने पूरे प्रदेश में सबसे कम सवाल किए हैं. विंध्य के विधायकों ने इन 5 सालों में 3232 सवाल किए हैं. वहीं, बुंदेलखंड के विधायक भी सवाल पूछने के मामले में सक्रिय रहे और पूरे कार्यकाल के दौरान 3603 सवाल उठाए. मालवा निमाड़ के विधायकों ने सबसे अधिक 7161 सवाल किए. मध्य भारत से 5036 सवाल उठाए गए. महाकौशल के विधायकों ने विधानसभा के पटल पर 4523 सवाल उठाए.

सबसे ज्यादा सवाल कोतमा के कांग्रेस विधायक ने किए

विंध्य के विधायकों में सबसे ज्यादा सवाल कोतमा से कांग्रेस विधायक सुनील कुमार सर्राफ ने किए. उन्होंने पांच साल में तीन सौ तीस सवाल पूंछे.रीवा जिले में रीवा विधानसभा सीट से राजेंद्र शुक्ल ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान 21 सवाल किए. वहीं, सिरमौर विधानसभा सीट से दिव्यराज सिंह ने 160 सवाल किए. सेमरिया से केपी त्रिपाठी ने 134 सवाल किए. त्योंथर विधानसभा से श्यामलाल द्विवेदी ने 48 सवाल विधानसभा में उठाए. मऊगंज से प्रदीप पटेल ने 307 सवाल किए. देवतालाब से विधायक और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने 50 सवाल किए, गुढ़ से नागेंद्र सिंह ने 109 सवाल उठाए, मनगवां से पंचूलाल प्रजापति ने 41 सवाल उठाए. 

नागौद से नागेंद्र सिंह ने केवल 6 सवाल किए
सतना जिले की सतना विधानसभा सीट से विधायक डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा ने 207 सवाल किए. चित्रकूट से नीलांशु चतुर्वेदी ने 207 सवाल किए. रैगांव विधायक कल्पना वर्मा ने 148 सवाल किए. नागौद से नागेंद्र सिंह ने केवल 6 सवाल विधानसभा में उठाए. मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने 185 सवाल किए. अमरपाटन से रामखेलावन पटेल जो कि राज्य सरकार में मंत्री हैं उन्होंने पूरे कार्यकाल के दौरान 34 सवाल उठाए. रामपुर बाघेलान से विक्रम सिंह ने 44 सवाल उठाए. 

चितरंगी से अमरजीत सिंह ने केवल 1 सवाल किया
सीधी जिले से विधायक केदारनाथ शुक्ला ने 51 सवाल उठाए. चुरहट विधायक सरदेंदु तिवारी ने 120 सवाल उठाए सिहावल से कमलेश्वर पटेल ने 189 सवाल उठाए. धौनी विधानसभा सीट से कुंवर सिंह ने 70 सवाल उठाए. सिंगरौली जिले से सिंगरौली विधानसभा सीट से राम लल्लू वैश्य ने 92 सवाल उठाए. चितरंगी से अमरजीत सिंह ने केवल 1 सवाल किया, देवसर विधायक सुभाष चंद्र ने 78 सवाल किए. शहडोल जिले से ब्यौहारी विधायक शरद जुगल ने 196 सवाल किए, जयसिंहनगर से जयसिंह मरावी ने 43 सवाल किए, जैतपुर से विधायक मनीष सिंह ने 25 सवाल उठाए.  

मानपुर विधायक और राज्य मंत्री ने नहीं किए एक भी सवाल
अनूपपुर जिले से अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल ने 63 सवाल किए. कोतमा से विधायक सुनील कुमार सर्राफ ने 330 सवाल किए. पुष्पराजगढ़ से विधायक फुंदेलाल मार्को ने 240 सवाल किए. उमरिया जिले से बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण सिंह ने 33 सवाल किए. वहीं, राज्य सरकार में मंत्री मीना सिंह जो कि मानपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एक भी सवाल नहीं किया.