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8 माह में मातृ मृत्यु दर से हुई 188 मौत, आखिर कौन है जिम्मेदार?

विंध्य क्षेत्र के सभी जरूरी अपडेट

मातृ मृत्यु दर किसी सीमित जगह की समस्या नहीं है. विंध्य क्षेत्र के संभाग रीवा और शहडोल के सात जिलों में रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में साल 2023 में अप्रैल-नवंबर तक 188 मौत हुई हैं.  

विंध्य क्षेत्र में जिलेवार मातृ मृत्यु दर में रीवा जिला सबसे आगे है. यहां 8 माह में 42 मौतें हुई हैं. वहीं सतना में 39, सीधी में 22, सिंगरौली में 16, शहडोल में 30, अनूपपुर में 19, उमरिया में कुल 20 मौतें हुई हैं.

इस मामले में स्त्री रोग विशेषज्ञ एंव सह प्रध्यापक डॉ. पदमा शुक्ला का कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं के मौत की सबसे बड़ी वजह खून की कमी और हाई बीपी प्रोब्लम है. मातृ मृत्यु दर के कारणों की समीक्षा की जाए तो सबसे बड़ा कारण महिलाओं की जागरूकता में कमी सामने आ रही है.

इसी के साथ महिलाएं ब्लड शुगर और डायबिटीज जैसी बीमारियों की भी शिकार होती हैं. यदि समय रहते गर्भवती महिलाएं आवश्यक जांच करा लें तो उन्हें इस खतरे से चिन्हित करके बचाया जा सकता है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का समय पर जांच न करवाना उनके लिए सबसे ज्यादा घातक साबित होता है. इसके लिए महिलाओं का जागरुक होना बेहद जरूरी है.

जांच के आंकड़ो की बात की जाए तो विंध्य क्षेत्र की स्थिति मध्यप्रदेश के बांकि क्षेत्रों के अपेक्षा काफी खराब है. NFHS के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही के जांच में जिन पांच जिलों की स्थिति सबसे अच्छी है. उसमें से विंध्य के एक भी जिले नहीं शामिल हैं, झाबुआ में 92.9 % प्रतिशत, जबलपुर में 91.8%, भोपाल में 90.2%, नीमच में 88.9 %, बड़वानी में 88.8% महिलाएं समय पर जांच करवाती हैं.

वहीं पहली तिमाही के जांच की स्थिति में सबसे पिछड़े जिलों में विंध्य क्षेत्र के दो जिले आते हैं. रीवा और अनूपपुर हैं. रीवा में 51.7 % तो वहीं अनूपपुर में 60. % हैं.

अगर मातृत्व सुरक्षा के पूर्व ANC (एंटी नेटल केयर) के बेहतर जिलों में जो पांच जिले आते हैं. उनमें विंध्य क्षेत्र के एक भी जिले नहीं आते हैं. धार में 76.5%, इंदौर में 74.6%, नरसिंहपुर में 74.2%, बैतूल में 74.0% और हरदा में 71.9% है. वहीं सबसे पिछड़े जिलों में विंध्य का रीवा शामिल है. रीवा जिले में एंटी नेटल केयर मात्र 33% है.

अब आयरन एवं फोलिक एसिड यानि IFC टैबलेट्स खाने के मामले में विंध्य क्षेत्र के दो जिले सबसे पिछड़े हैं. जहां रीवा में 29.9% तो सीधी में 34.4% ही महिलाएं IFC टैबलेट्स लेती हैं. 

रीवा जिले के करियाझर में आज भी ऐसी स्थिति हैं. जहां महिलाएं घर में ही प्रसव करती हैं. क्योंकि वहां दूर- दूर तक वाहन और प्रसव केंद्रों का कोई अता-पता ही नहीं है. करियाझर में अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान प्रसव पीड़ा होती है तो उन्हे खटोले में लेटाकर गांव से बाहर ले जाया जाता है.