पहली खबर रीवा जिले की सड़कों के कायाकल्प को लेकर है डामरीकृत सड़कों पर डामर की परत चढ़ाई जा रही है. जो सड़के चलने लायक और अपडेट थी. उन पर भी डामर चढ़ाया जा रहा है. भोपाल की तर्ज पर रीवा की सड़कों को भी बनाकर करोड़ों रुपए इसी में फूंक दिए गए.
रीवा में सीवर लाइन और पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ. सभी सड़कों को खोदकर निर्माण एजेंसियों को ही सड़के सुधारनी थी. लेकिन कहीं की भी सड़कें सही से नहीं बनाई गई.
चुनाव आया तो सरकार खस्ताहाल सड़कों को सुधारने और डामरीकरण का काम शुरू करने के लिए एक्टिव हो गई. इसे ही कायाकल्प का नाम दिया गया है. इसके नाम पर करोड़ों रुपए का बजट नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के खाते में पहुंचा है. इसके बाद चंद महीनों पहले बनी सड़कों का पर भी लीपापोती काम शुरू हो गया है.
इसकी शुरुआत वार्ड क्रमांक 13,14 से हुई है. इसके बाद शहर की अन्य सड़कों का काम शुरू किया गया. आचार संहिता लगने से पहले करहिया मार्ग, शिल्पी प्लाजा मार्ग की सड़कों पर डामर की परत चढ़ा दी गई थी. लेकिन मतदान के चलते काम रोक दिया गया था. इसके बाद अब एक बार फिर सड़क काम का जोर पकड़ लिया है.. ठेकेदार काम तेजी से कर रहे हैं. द्वारिका नगर की सभी सड़कों को डामरीकृत कर दिया गया है. पीटी एस मार्ग को भी डामरीकृत किया जा रहा है. रानी तालाब तक सड़क अब चकाचक हो गई है इसके अलावा शहर की अन्य सड़कों को भी ड्रमरीकृत किए जाने का काम होना है.
अगली खबर सतना से बाल विवाह को लेकर है. बाल विवाह सामाजिक कुरीति के साथ कानूनी रूप से भी अपराध है. विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक तथा लड़के की आयु 21 वर्ष से अधिक होना अति आवश्यक है. इस निर्धारित आयु से कम आयु के लड़की या लड़के का विवाह कानूनन अपराध है.
इस तरह का बाल विवाह करने वाले और उसे संपन्न करने वाले को 2 वर्ष तक की सजा और रुपए 1लाख जुर्माना हो सकता है. इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सौरभ सिंह ने बताया कि सभी माता-पिता अपने बेटे और बेटी का विवाह उचित उम्र में ही करें. कम आयु में बेटी शारीरिक और मानसिक रूप से विवाह के योग्य नहीं होती है. बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक कुरीति है. इसे रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू किया गया है. इसके तहत बाल विवाह से पीड़ितों को सुरक्षा और राहत प्रदान करने के साथ-साथ बाल विवाह को प्रोत्साहित करने और उसे संपन्न कराने पर कठोर दंड का प्रावधान है.
सरकार के द्वारा पशुओं को त्वरित उपचार के लिए जो प्रयास किए गए. इस काम की सराहना तो हो रही है. लेकिन उन प्रयासों के बावजूद जो सुविधाएं ग्रामीण अंचल के लोगों को उपलब्ध कराई गई है. वह उन्हें नहीं मिल पा रहा है. यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. केवल नाम का सेमरिया में पशु चिकित्सा केंद्र संचालित है लेकिन इसमें चिकित्सक तैनात ही नहीं है उसकी जगह अगर कोई फार्मासिस्ट हैं तो वह गाहे बगाहे ही ग्रामीणों को देखने के लिए मिलते हैं. पशु चिकित्सा केंद्र पर गांव के दबंगों ने अपना कब्जा कर अधिकार जमा लिया है. जिस ओर स्वास्थ्य विभाग मुड़कर भी नहीं देख रहा है. सेमरिया तहसील क्षेत्र के पशु चिकित्सा केंद्रों की बात की जाए तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज्यादातर पंचायत स्तर पर पशु चिकित्सा केंद्र स्थापित किए गए हैं.
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