पहली ख़बर रीवा में केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए हैं. अपने ही बाबू से 19 हजार रुपए की रिश्वत लेते शहर के केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 के प्राचार्य को लोकायुक्त पुलिस की रीवा इकाई ने रंगे हांथ गिरफ्तार किया है. प्राचार्य सतपाल सिंह सामग्री खरीदी की राशि के भुगतान के बदले 12 फ़ीसदी कमीशन उच्च श्रेणी लिपिक सत्य प्रकाश से मांग रहा था. इसके लिए बाबू पर लगातार दबाव भी डाल रहा था. तंग आकर बाबू ने लोकायुक्त एसपी से शिकायत कर दी. वहां से शिकायत की तस्दीक कराने के बाद गुरुवार की शाम कार्रवाई के लिए टीम भेजी गई. शाम करीब 7:00 बजे जब अन्य कर्मचारी स्कूल से चले गए तब बाबू से 19 हजार रुपए लेते लोकायुक्त पुलिस ने ट्रैप कर लिया. केंद्रीय विद्यालय के उच्च श्रेणी लिपिक सत्य प्रकाश में गत दिवस लोकायुक्त एसपी से शिकायत दर्ज करवाई थी. कि स्कूल के लिए इंटरएक्टिव पैनल की खरीदी दो लाख रुपए में कुछ समय पहले हुई थी.
इसके बिल भुगतान के लिए जब प्राचार्य सतपाल सिंह के सामने फाइल पेश की तो पहले कई दिनों तक मामले को टकराते रहे. आखिरकार उसके भुगतान के बदले बतौर 12% कमिशन की मांग की. लिपिक ने शिकायत के बाद लोकायुक्त की निगरानी में केमिकल लगे 19 हजार रुपए जैसे ही दिए वैसे ही लोकायुक्त की टीम पहुंच गई और धर दबोचा. पकड़े गए प्राचार्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है.
अगली खबर सतना से है जिला समेत प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीवी मुक्त बनाने के तमाम वादों के बीच एक बड़ा सच यह है कि जिले में हर महीने टीवी के लगभग 400 मरीज सरकारी आंकड़ों में जुड़ रहे हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपके शरीर में भी टीवी के कीटाणु हो सकते हैं लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. बैक्टीरिया तभी बीमारी फैलाने में सफल होते हैं जब लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि हर 100 में 40 लोगों के शरीर में टीवी के बैक्टीरिया होते हैं लेकिन एनुअल इंसीडेंस रेट के मुताबिक 40 में से 1 से 2 फ़ीसदी लोग टीवी की गिरफ्त में आते हैं. जिनका इम्यून सिस्टम अच्छा होता है बैक्टीरिया नष्ट हो जाती है.शहरी और कस्बाई क्षेत्र में टीवी के अधिक पेशेंट मिलते हैं. इसमें सबसे अधिक गरीब और झोपड़पट्टी में रहने वाले लोग प्रभावित होते हैं.
विशेषज्ञ बताते हैं कि टीवी से पीड़ित मरीजों के आसपास रहने से दूसरे लोगों को भी टीवी होने का खतरा बना रहता है. यह वैक्टीरिया खांसने, छींकने सीखने के दौरान 1 से दूसरे लोगों के शरीर में प्रवेश करता है. अच्छी बात तो यह है कि टीवी अब जानलेवा बीमारी नहीं रह गई. सरकारी अस्पतालों में हर संभव इलाज उपलब्ध है. हर जिला अस्पतालों में टीवी वार्ड बनाए गए हैं जहां लोगों को डॉक्टर के पास जाने में विलंब नहीं करना चाहिए.
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