रीवा का ईको पार्क, यहां के विधायक राजेंद्र शुक्ला के विकास का टेंपलेट है यानी एक नमूना. ईको पार्क रीवा की लाइफ लाइन कही जाने वाली बीहर नदी के किनारे बना है. साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर 5.20 हेक्टेयर भूमि में 25 करोड़ की लागत से निजी निवेश के माध्यम से बना रीवा का ईको पार्क इन दिनों रीवा विधानसभा चुनाव में चर्चा का केंद्र बना हुआ है.
विंध्य के विकास को परिभाषित करने वाले ईको पार्क की अर्थव्यवस्था ऐसी है कि एक परिवार के घर का खर्च बिगड़ जाए. रीवा के विकास पुरुष राजेंद्र शुक्ला ने यहां के लोगों के लिए ईको पार्क बनवाया है, लेकिन यहां रहने वाले लोगों के लिए ये महंगाई की मार है.
मौजूदा समय में एक व्यक्ति को अपने परिवार का खर्च चला पाना मुश्किल हो रहा है, जहां विकास के नाम पर सरकार लूटने का काम कर रही है. क्या आप इस गणित को समझ पा रहे हैं? किसी क्षेत्र के विकास के नाम पर वहां के लोगों के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई हो और उस सुविधा की कीमत एक परिवार का खर्च रखा गया है.
बीहर नदी के आंचल में बना, रीवा विधानसभा की विकास गाथा को परिभाषित करने वाला ईको पार्क किसके लिए बनाया गया जनता की सुविधा के लिए या फिर जनता की जेब काटकर पूंजीपतियों का घर भरने के लिए. इस ईको पार्क की रेट लिस्ट देखकर तो यही लगता है कि ईको पार्क को बनाने का श्रेय लेने वाले नेता जनता को कंगाल करना चाहते हैं.
लॉजिक से देखें तो इस ईको पार्क में एक व्यक्ति की एंट्री का टिकट 100 रुपए है. ईको पार्क में अलग- अलग ऐक्टिविटीज के अलग से चार्ज भी देने हैं. ईको पार्क में बने रेस्टोरेंट में एक चाय 50 रुपए की मिलती है. 40 से 50 रुपए किलो मिलने वाले दूध से ज्यादा रेट चाय का है. यहां नींबू पानी 99 रुपए का मिलता है. शहर के बड़े से बड़े होटल में जो रेट है, उससे तीन गुना ज्यादा वसूली हो रही. ऐसे में आम जन की पहुंच तो हो ही नहीं सकती. ईको पार्क में. एंट्री से लेकर सभी मौजूदा चीजों के जरिए सिर्फ रीवा वासियों को लूटा जा रहा है.
रीवा के विकास पुरुष कहे जाने वाले राजेंद्र शुक्ला ने जब इसका लोकार्पण किया तो बड़ी बातें कह रहे थे. लेकिन इस तरह जनता की जेब काटकर कौन आसामी बन रहा है. महंगाई की मार पहले कौन सी कम थी जो ये सौगात देकर उसे और बढ़ाया जा रहा है. मध्यप्रदेश में बेरोजगारी ग़रीबी के इस दौर में शासन की मजदूरी दर 221 रुपए है इतनी मजदूरी पाने वाला रीवा वासी तो ईको पार्क में जा ही नहीं पाएगा यह कैसा विकास जो शहर में आर्थिक संकट बढ़ा दे?
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